धनबाद: धनबाद स्थित केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) के प्लैटिनम जुबली समापन समारोह में भाग लेने के लिए बुधवार को पहली बार झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस धनबाद पहुंचे। वह झारखंड का राज्यपाल बनने के बाद पहली बार धनबाद पहुंचे थे। वे विशेष विमान से 12 बजे धनबाद के बरवाअड्डा पहुंचे। यहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। हवाईपट्टी पर उन्हें गार्ड आफ आनर दिया गया।
इस दौरान धनबाद उपायुक्त संदीप सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार और सांसद पशुपतिनाथ सिंह ने राज्यपाल को पुष्प गुच्छ देकर उनका स्वागत किया। इसके बाद वे कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सिंफर रवाना हो गए।
सिंफर के डिगवडीह परिसर में कोल गैसीफिकेशन उत्कृष्टता केंद्र और मर्करी मैनेजमेंट इन एमिशन सेक्टर के उत्कृष्टता केंद्र की शुरुआत के साथ सिंफर धनबाद में प्लैटिनम जुबली पार्क का भी उन्होंने उद्घाटन किया। राज्यपाल बैस यहां संबोधन के साथ सिंफर की ओर से चेन्नई में विकसित तरल अपशिष्ट पदार्थों से पोटाश निष्कासन के पायलट संयंत्र का भी उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया।
समारोह को नीति आयोग के सदस्य पदमश्री डॉ वीके सारस्वत, सांसद पशुपतिनाथ सिंह, सिंफर रिसर्च काउंसिल के अध्यक्ष प्रोफेसर एस द्वारकादास और सिंफर निदेशक डा प्रदीप कुमार सिंह ने भी संबोधित किया। अतिथियों ने तकनीक आधारित दो पुस्तकों का भी विमोचन किया।
संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि पेट्रोल डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। लोग इलेक्ट्रिक वाहन की ओर बढ़ गए हैं। ऐसे वक्त में नए आविष्कार बड़ा बदलाव ला सकते हैं। वैज्ञानिकों को नए विकल्प और आविष्कार पर काम करने की जरूरत है।
नए विकल्पों को लेकर उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा कि कई बार अखबारों के माध्यम से यह पता चलता है कि एक सामान्य से मिस्त्री ने पानी से चलने वाले गाड़ी का आविष्कार कर दिया है। अगर एक सामान्य मिस्त्री ऐसा कर सकता है तो क्या वैज्ञानिक ऐसा नहीं कर सकते?
वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मैं जब मंत्री था तो मेरे पास खनन का भी प्रभार था। उस दौरान मैंने देश दुनिया के कई खनन क्षेत्रों का दौरा किया था।
पर इस क्षेत्र (धनबाद कोयलांचल) में पहली बार आया हूं। उन्होंने कहा कि तंत्र-मंत्र और यंत्र दुनिया को आगे ले जा रहा है। रामायण काल की बात करें तो उस वक्त रावण के पास हवाई जहाज था जो मंत्र से चलता था। वर्तमान में भी हवाई जहाज हैं जो यंत्र से चलते हैं। महाभारत काल में संजय सब कुछ देखता था और अब हम टेलीविजन पर देखते हैं। वह मंत्र का वक्त था और यह यंत्र का जमाना है।
उन्होंने कहा कि कोयले का प्रचूर भंडार होने के बावजूद कोयला आयात करना पड़ रहा है। विज्ञानी इस क्षेत्र में और शोध करें ताकि आयात करने से की जरूरत ना पड़े और करोड़ों का राजस्व विदेशों को न जाए।
उन्होंने कहा कि हम जो शर्ट पहनते हैं उसके कॉलर का पेटेंट भी विदेश के पास है। ऐसा नहीं है कि हमारे देश के विज्ञानी नए शोध और आविष्कार नहीं कर रहे हैं। पर उन आविष्कारों को पेटेंट या मान्यता नहीं मिलने मिल पा रही है। नए रिसर्च करें और उसे मान्यता दिलाने की भी कोशिश करें।