रांची: झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि कृषि कानून की वापसी का निर्णय किसानों और लोकतंत्र की जीत है। गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि मोदी सरकार ने भारी जनआक्रोश के कारण आगामी चुनावों को देखते हुए ये निर्णय लिया हैं, जिसने साबित किया हैं कि तीनों काले कानून सिर्फ उद्योगपति को खुश करने के लिए लाए गए थे।
ये किसानों को गुलामी की ओर ले जाने वाला षडयंत्र था, जिसे असफल किया गया हैं। देश के किसानों की आय दुगुनी कैसे दुगुनी हो इस पर प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा।
वहीं दूसरी ओर राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव ने तीन नये कृषि कानून को निरस्त किये जाने की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा यह किसानों की बड़ी जीत है। केन्द्र सरकार को अन्नदाताओं के सामने झुकना पड़ा। उरांव ने कहा कि डेमोक्रेसी में कोई कानून जबरन थोपा नहीं जाता है।
कानून बनाने के पहले लोगों से विचार-विमर्श और उनका सुझाव लिया जाता है, जिनके लिए कानून बन रहा है, उनसे पूछा जाता है कि यह उनके हित में है या नहीं। लेकिन भाजपा ने एकतरफा फैसला ले लिया और तीन नये कृषि कानून को संसद से पारित कराने का काम किया।
इससे किसानों को हानि होने की आशंका थी, जिसके कारण देशभर के किसान पिछले एक साल से आंदोलनरत थे। इस आंदोलन में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी द्वारा लगातार आंदोलन चलाया जा रहा था।
पूरे देश में इस आंदोलन को समर्थन मिल रहा था। लेकिन करीब एक वर्ष तक भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस आंदोलन की अनदेखी की। अब केंद्र सरकार आंदोलन के आगे झुक गयी। प्रधानमंत्री ने कानून को रद्द करने की घोषणा की है।
पार्टी इसका स्वागत करती है, लेकिन जब तक संसद से विधिसम्मत तरीके से इस कानून को वापस नहीं ले लिया जाता, तब तक पूरी पार्टी आंदोलनरत किसानों के साथ खड़ी है। उरांव ने आशंका जतायी कि देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने की साजिश की जा रही है।
इसलिए पार्टी यह भी मांग करती है कि जरुरत के मुताबिक देश में एमएसपी को लेकर कानून बनें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शुरू से ही देश के किसानों के साथ खड़ी रही है।