रांची: राज्य में लोकायुक्त, मानवाधिकार आयोग सहित विभिन्न अथॉरिटी और आयोगों में रिक्त पदों पर नियुक्ति करने की मांग वाली जनहित याचिका पर शनिवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है।अदालत ने सरकार को शपथपत्र के जरिये यह बताने को कहा है कि राज्य में विभिन्न प्राधिकरणों और आयोगों के कितने पद रिक्त हैं और किन-किन पदों को अभी तक भरा गया है।
इस मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 17 दिसंबर की तिथि निर्धारित की गयी है। बता दें कि इसको लेकर अधिवक्ता धीरज कुमार ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।
उल्लेखनीय है कि राज्य के विद्युत नियामक आयोग, सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग, राज्य महिला आयोग, बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग, शिक्षा न्यायाधिकरण, कार्यालय लोकायुक्त सहित सभी आयोगों में पिछले दो-ढाई सालों से अध्यक्ष और सदस्यों का पद रिक्त है।
इसके कारण भ्रष्टाचार, महिला उत्पीड़न, बाल सरंक्षण से संबंधित हजारों मामलों की शिकायतें और अपीलों की सुनवाई लंबित पड़ी हुई है। ऐसे में सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने तीन अगस्त को हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
गौरतलब है कि राज्य विद्युत नियामक आयोग में पिछले 17 महीनों से अध्यक्ष का पद खाली है। 12 मई, 2020 को तत्कालीन अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से यह पद खाली पड़ा है।
वहीं, राज्य सूचना आयोग में पिछले डेढ़ सालों से मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के पद रिक्त हैं।दूसरी ओर राज्य मानवाधिकार आयोग में पिछले छह माह से एक सदस्य का पद रिक्त है, जबकि राज्य महिला आयोग में पिछले एक साल से अध्यक्ष, सचिव सहित चार सदस्यों के पद खाली पड़े हुए हैं।
उधर, राज्य बाल अधिकार एवं सरंक्षण आयोग में पिछले ढाई वर्षों से आयोग की सारी गतिविधियां ठप हैं, जबकि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण में पिछले तीन महीने से एक सदस्य का पद खाली है। साथ ही, लोकायुक्त का पद खाली है।