रांची: झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता रजनीश वर्धन को बिना सूचना के पटना पुलिस की ओर से उठा ले जाने के मामले में हाई कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई।
जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस अनुभव चौधरी की अदालत ने इस मामले में झारखंड सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई की तिथि दो दिसंबर निर्धारित की है।
उल्लेखनीय है कि झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता रजनीश वर्धन को पटना पुलिस बिना किसी जानकारी के अपने साथ रांची से ले गयी थी।
अधिवक्ता रांची के सुखदेव नगर थाना क्षेत्र के रहनेवाले हैं। इसकी जानकारी झारखंड हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के महासचिव नवीन कुमार ने दी थी।
घटना के बाद अधिवक्ता की पत्नी ने झारखंड हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। अधिवक्ता नवीन कुमार ने कोर्ट से इस मामले की जल्द सुनवाई का आग्रह किया था।
मालूम हो कि नौ नवंबर को झारखंड हाई कोर्ट में छुट्टी थी, लेकिन इसके बावजूद इस मामले के लिए कोर्ट खुला और सुनवाई भी हुई थी। सुनवाई के दौरान अदालत ने पटना के एसएसपी और रांची एसएसपी से जवाब मांगा था।
अदालत ने इन दोनों से पूछा है कि जब अधिवक्ता को देर रात उनके आवास से गिरफ्तार किया गया, तो पूरी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन क्यों नहीं किया गया। किन परिस्थितियों में ऐसा किया गया? अदालत ने इस मामले में बिहार के गृह सचिव को भी प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया था।
इस संबंध में अधिवक्ता की पत्नी श्वेता प्रियदर्शनी की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गयी है।
याचिका में कहा गया है कि रविवार की रात 10:30 बजे पुलिस उनके आवास पहुंची और उनके पति रजनीश को अपने साथ ले गयी। उन्होंने इसके बारे में जानकारी मांगी, लेकिन पुलिस ने उन्हें जानकारी नहीं दी।