रांची: राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि दिव्यांगता कभी भी विकास में बाधक नहीं बना है, लक्ष्य साधते हुए हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। दिव्यांगों को सहयोग समान अधिकार देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि असल विकलांग वह है जो शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के बाद भी अपने जीवन में कुछ कर नहीं पाते।
राज्यपाल शुक्रवार को विश्व निशक्तता दिवस पर विद्या वेलफेयर सोसायटी की ओर से खेलगांव में आयोजित कार्यक्रम सार्थक में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि विकलांगता सिर्फ मन की एक अवस्था है। दिव्यांगजनों ने इसे निश्चित रूप से बखूबी साबित किया है। हर रोज दूसरों से ज्यादा संघर्ष के साथ जीने का दर्द निश्चित रूप से एक बहादुरी की बात है।
इतिहास साक्षी है कि दिव्यांगों में न ही क्षमता की कमी है और न ही किसी प्रतिभा की जिसके बल पर इन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी कृति एवं कौशल से सफलताएं अर्जित कर सबको गौरवान्वित किया है।
आज ऐसे प्रतिभाशाली नागरिकों के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाना अत्यन्त ही सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि आदिकाल से ही भारत में श्रेष्ठता व्यक्तिगत गुणों पर आधारित रही है। दिव्यांगजनों को उनके व्यक्तिगत गुणों के आधार पर सम्मानित करने में हमारा देश सदा अग्रणी रहा है।
दिव्यांगजन शारीरिक रूप से चाहे कमजोर होते हों लेकिन ज्ञान, बुद्धि, तर्कशक्ति और तेजस्विता के मामले में किसी से भी कम नहीं होते। इस बीच राज्यपाल ने सार्थक टीम के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें सम्मानित भी किया।
कार्यक्रम में जमशेदपुर से बुद्धिस्ट विशुद्धानंद भीखू मौजूद थे। मौके पर मौजूद साहित्यकार महुआ मांझी ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण है जिसमें दिव्यांगों ने कई मुकाम हासिल किया है और दुनिया के सामने बेहतरीन मिसाल पेश किए हैं।
ईश्वर ने जो चुनौती इन्हें दी है उसे यह बच्चे मजबूती के साथ पार कर पाएंगे। कार्यक्रम में दिव्यांगों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। इस कार्यक्रम में संस्था के कई लोग मौजूद थे।
आयोजक श्रेया तिवारी ने कहा कि सार्थक द्वारा देश में पहली बार दिव्यांगों के लिए मिस्टर और मिस इंडिया प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है। इस कार्यक्रम का फाइनल मुंबई में 25 दिसंबर को होगा।