रांची: झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया को पत्र लिखा है।
पत्र में कहा है कि झारखण्ड कोरोना महामारी को कम करने में लगातार प्रयासरत है और आगे भी केन्द्र के साथ मिलाकर चलने के लिए कटिबद्ध है।
उन्होंने लिखा है कि स्वास्थ्य विभाग के अंतिम पायदान ग्राम स्तर पर कार्यरत हमारी सहिया दीदी (आशा कार्यकर्ता) विभाग के द्वारा संचालित सभी महत्वाकांक्षी योजनाओं के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाती है।
कोविड काल में कम्युनिटि सर्वेलेंस, कोन्टेक ट्रेसिंग से लेकर कोविड टीकाकरण समुदाय उत्प्रेरण में इन सहियाओं का योगदान अतिमहत्वपूर्ण रहा है।
झारखण्ड राज्य के गठन के बाद से स्वस्थ्य सूचकांकों में काफी सुधार हुआ है। मातृ मृत्यु दर जो 400 था वह वर्ष 2020 में घट कर 71 (एसआरएस) हो गया।
शिशु मृत्यु दर 72 था वह भी अब घट कर 27 (एसआरएस) हो गया है। सहियाओं के उत्प्रेरण और सहयोग से बच्चों का टीकाकरण 8.8 प्रतिशत से 90 प्रतिशत (एचएमआईएस) तथा संस्थागत प्रसव 13.9 से 82 प्रतिशत (एचएमआईएस) का लक्ष्य प्राप्त करने में हम सफल रहे।
झारखण्ड के अधिकांश क्षेत्र जंगल, झाड़ पहाड़ी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से आच्छादित है और उन क्षेत्रों में भी सहिया दीदी का योगदान अपूरणीय है।
सहिया दीदीयों (आशा) को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत विभिन्न गतिविधियों के लिए उनके कार्याधारित प्रोत्साहन राशि प्राप्त होती है, जो औसतन 3000 से 3500 रुपये प्रतिमाह है, वर्तमान परिवेश में काफी कम है।
स्वास्थ्य मंत्री ने लिखा है कि जनता एवं स्वास्थ्य विभाग के बीच एक कड़ी रूप में कार्य करने वाली इन सहियाओं (आशा) को सम्मान पूर्ण प्रति माह 5,000 रुपये बतौर मानदेय के रूप में देते हुए उन्हें उनके अन्य निष्पादित गतिविधियों के लिए अनुमान्य प्रोत्साहन राशि जोड़कर भुगतान करने के लिए अनुशंसा करता हूं।
इसके अतिरिक्त भवदीय का ध्यान आकृष्ट कराना है कि झारखण्ड आपके मार्गदर्शन में राज्य के अंतिम पायदान पर रहने वाले व्यक्ति को उचित स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके लिए केन्द्र प्रयोजित योजनाओं केन्द्र सरकार की भागीदारी को बढ़ाने की आवश्यकता है।
अतः अनुरोध है कि केन्द्रीय प्रयोजित योजनाओं में केन्द्रांश एवं राज्यांश 90:10 के अनुपात में करने पर विचार किया जाय।