DGP appointment case in Jharkhand : झारखंड में DGP की नियुक्ति के मामले में Supreme Court में राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई है। अखिल भारतीय आदिम जनजाति विकास समिति, Jharkhand की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से ‘प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ’ मामले में दिए गए निर्देशों की अवहेलना की है।
याचिकाकर्ता के अनुसार, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के विपरीत न सिर्फ कार्यवाहक DGP का पद सृजित कर लिया है, बल्कि Cabinet में प्रस्ताव पारित कर ‘जनहित’ के नाम पर DGP को कभी भी हटाने और इस पद पर नियुक्ति की अनुशंसा के लिए चयन समिति गठित करने का निर्णय लिया है।
याचिका में कहा गया है कि ये सभी कदम शीर्ष अदालत के निर्देशों के खिलाफ हैं, जिससे Police सुधार की प्रक्रिया बाधित हो रही है। याचिका में यह भी कहा गया है कि Jharkhand Government ने सर्वोच्च न्यायालय के 22 सितंबर 2006, 3 जुलाई 2018 और 13 मार्च 2019 के आदेशों का उल्लंघन किया है।
याचिका में बताया गया है कि वरिष्ठ IPS Ajay Kumar Singh को सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार DGP नियुक्त किया गया DGP बना दिया। बाद में, विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद, भारत के निर्वाचन आयोग ने अनुराग गुप्ता को उनके पद से हटा दिया, क्योंकि पूर्व में उन पर चुनावी अनियमितताओं में संलिप्तता के आरोप लगे थे।
इसके बाद, चुनाव आयोग के निर्देश पर अजय कुमार सिंह को DGP नियुक्त किया गया, जिनके कार्यकाल में चुनाव संपन्न हुए। लेकिन, चुनाव खत्म होते ही, राज्य सरकार ने अजय कुमार सिंह को हटाकर अनुराग गुप्ता को फिर से कार्यवाहक DGP बना दिया।
याचिकाकर्ता का कहना है कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति अदालत के आदेशों का खुला उल्लंघन है। ‘प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि DGP का चयन केवल UPSC द्वारा तैयार की गई तीन वरिष्ठतम अधिकारियों की सूची से किया जाना चाहिए और उनका कार्यकाल न्यूनतम दो साल का होना चाहिए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि झारखंड सरकार ने 7 जनवरी 2025 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में DGP के चयन और नियुक्ति के लिए जिस नियमावली को मंजूरी दी, वह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि नए नियमों में UPSC की भूमिका समाप्त कर दी गई है और चयन प्रक्रिया को राज्य सरकार के नियंत्रण में कर दिया गया है। इससे नियुक्ति की पारदर्शिता और मेरिट-आधारित प्रक्रिया खत्म हो गई है।
याचिका में कहा गया कि इस नई प्रक्रिया से स्वतंत्र और निष्पक्ष चयन प्रक्रिया को खतरा है और यह राजनीतिक हस्तक्षेप को बढ़ावा देने वाला कदम है। साथ ही, नए नियमों में DGP का न्यूनतम दो साल का कार्यकाल सुनिश्चित करने का प्रावधान भी नहीं किया गया है, जिससे स्थिरता और स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा।
याचिकाकर्ता ने झारखंड सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने और DGP चयन और नियुक्ति नियम, 2024 को रद्द करने की मांग की है।