नई दिल्ली: वर्तमान में भारत में कुल चार क्रूर महिलाओं को फांसी पर चढाए जाने का इंतजार है। क्रूर तरीके से हत्या करने जैसे गंभीर अपराधों में आरोपित इन महिलाओं में एक विधायक की बेटी भी शामिल है।
इन सभी महिलाओं के अपराध इतने संगीन और भयावह थे कि इनकी दया याचिकाओं को राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं।
अमरोहा में अपने ही परिवार के 07 सदस्यों को प्रेमी के साथ कुल्हाड़ी से काटकर मार देने वाली शबनम को मथुरा में फांसी होने जा रही है।
इसकी तैयारियां भी हो गई हैं। इस महीने के आखिर में या मार्च की शुरुआत में उसे फांसी दे दी जाएगी।
वहीं हरियाणा की सोनिया ने पिता समेत आठ लोगों की निर्मम हत्या की थी।
सोनिया के पिता हिसार के विधायक रेलूराम थे। प्रॉपर्टी की लालच में 23 अगस्त 2001 को सोनिया और उसके पति संजीव ने मिलकर रेलूराम व उसके परिवार के आठ लोगों की हत्या कर दी।
सोनिया ने अपने पति के साथ मिलकर हरियाणा में पिता सहित 08 लोगों की हत्या कर दी थी।
ये मामला पारिवारिक संपत्ति से जुड़ा रंजिश का था। 2004 को सेशन कोर्ट ने इन्हें फांसी की सजा सुनाई।
जिसे 2005 को हाई कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दी। बाद में 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने वापस सेशन कोर्ट की सजा बरकरार रखने का फैसला किया।
समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद सोनिया व संजीव ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई।
जिसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खारिज कर दिया।जेल से कई बार भागने की कोशिश कर चुकी है।
उधर पुणे की रेणुका और सीमा दो बहनें हैं। वो 24 सालों से पुणे के यरवदा जेल में बंद हैं।
ये वही जेल है, जहां कसाब को फांसी दी गई थी। ये दोनों सगी बहनें हैं। बड़ी रेणुका और छोटी का नाम है सीमा। इन पर 42 बच्चों की सीरियल किलिंग का आरोप था।
इसमें 06 हत्याओं के मामले साबित हो गए।
इनके अपराध की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि ऐसी औरतों के लिए ‘मौत की सजा’ से कम कुछ भी नहीं है।
दोनों ने 42 बच्चों की हत्या की। इन हत्याओं में इन दोनों की मां अंजना गावित भी दोषी थी।
उसकी मौत जेल में ही एक बीमारी से हो चुकी है। इन दोनों की मां अंजना गावित नासिक की रहने वाली थी।
वहीं एक ट्रक ड्राइवर से प्यार में भागकर पुणे आ गई। दोनों की एक बेटी हुई रेणुका।
प्रेमी ट्रक ड्राइवर पति ने अंजना को छोड़ दिया। एक साल बाद गावित ने एक रिटायर्ड सैनिक मोहन से शादी कर ली।
इससे दूसरी बेटी सीमा हुई। ये शादी भी नहीं चली। अब सड़क पर आने के बाद गावित बच्चियों के साथ चोरियां करने लगी। बड़े होने पर बच्चियां भी मदद करने लगीं। फिर वो बच्चे चुराने लगीं।
ये तब तक जारी रहा जब तक इस गिरोह का पर्दाफाश नहीं हुआ। उन बच्चों से भी चोरी करातीं।
बच्चा काम का नहीं रहता तो उसे मार देतीं।
ज्यादातर को पटक-पटक मार देतीं। बच्चों को मारने के उन्होंने ऐसे तरीके अपनाएं कि सुनकर ही दिल दहल जाए।
1990 से लेकर 1996 तक छह साल में उन्होंने 42 बच्चों की हत्या कर दी।
इन दो बहनों के मां उनकी मां भी सीरियल किलिंग करती थी। पूरा मामला ऐसा है कि कोई भी उसको सुनकर स्तब्ध हो सकता है।
मां की जेल में ही बीमारी से मौत हो चुकी है। ये घटना महाराष्ट्र के अख़बारों की सुर्खियां बन गई।
भारत में इससे पहले इतने बड़े स्तर पर कभी हत्याएं नहीं हुईं थीं।
यह सीरियल किलिंग का मामला भारत ही नहीं, दुनिया के सबसे खतरनाक और दर्दनाक मामलों में से एक था।
हालांकि सीआईडी को ज्यादा सबूत नहीं मिले। लेकिन 13 किडनैपिंग और 6 हत्याओं के मामलों में इन तीनों का इंवॉल्वमेंट साबित हो गया।
साल 2001 में एक सेशन कोर्ट ने दोनों बहनों को मौत की सजा सुनाई।
हाईकोर्ट में इस केस की अपील में साल 2004 को हाईकोर्ट ने भी ‘मौत की सजा’ को बरकरार रखा।