नई दिल्ली: भारत के कोविड-19 वर्ष को देखने के कई तरीके हैं। दुनिया में कोरोना संक्रमणों से पीड़ित की संख्या बढ़ती जा रही थी, तभी भारत ने सही समय पर देश का पहला लॉकडाउन लगाने का फैसला किया।
देश के 1.3 बिलियन से अधिक लोगों ने इस कठिन लॉकडाउन का बड़े ही बहादुरी से सामना किया।
आपको जानकर हैरानी नहीं होगी लेकिन कम से कम 11 मिलियन लोग भयकंर महामारी के चपेट में आए।
वहीं 160,000 के करीब इसकी वजह से मृत्यु हुई। साल 2020 के मार्च में जब दुनिया ने पहली बार तबाही की ऐसी झलक देखी तब, मोदी सरकर को लॉकडाउन के अलावा कोई और विकल्प नहीं दिखा।
वहीं विशेषज्ञों ने माना कि इस लॉकडाउन से भारत को भारी नुकसान होगा।
भारत में कोरोना महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन 24 मार्च 2020 को लगा।
लॉकडाउन ने किसी की जिदंगी आसान बनाई तो किसी के लिए मुसीबत ही बुलाई। नागरिकों के संकट और नुकसान को भुलाया नहीं जा सकता है और ना ही भुलाया जाना चाहिए।
साथ ही इसतरह के व्यापक संकट के कारणों की भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।
जब मार्च में लॉकडाउन की घोषणा हुई तब दुनिया की आधी आबादी लॉकडाउन में थी। वहीं सरकार ने लोगों को घरों में रहने का आदेश दिया।
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान भारत की 1.3 अरब आबादी घरों में बंद थी और यह देश की सबसे बड़ी संख्या रही।
लॉकडाउन के बाद से शहर में सड़कें विरान पड़ी रही, न कार सड़कों पर दौड़ रही थी, न ही कोई हवाई यात्रा आसमान को छू रही थी, उघोग धंधे ठप पड़ और कोरोना से बचने के लिए हर तरफ नियमों का पालन करने की लहर चली।
वहीं स्कूल और कॉलेज के बंद होने से कम से कम दुनिया के 47 फीसद छात्र प्रभावित हुए।
कोरोना महामारी फैलने के साथ ही एक ऐसा शब्द भी सभी की जुबान पर चढ़ गया जो अब काफी इस्तेमाल किया जा रहा है।
वहां शब्द है क्वारंटाइन, क्वारंटाइन शब्द भले ही काफी पुराना हो लेकिन आज भी इस शब्द का असली अर्थ लोग समझ नहीं पाए है। दुनिया के मिलियन लोगों के लिए यह शब्द नया था जो अब काफी प्रचलित शब्दों में से एक बन चुका है।
बता दें कि क्वारंटाइन शब्द का मतलब होता है किसी बीमारी के फैलने के खतरे से बचाव के लिए प्रतिबंध लगाना।
इसमें लोगों को बाहर जाने, घुमने यहां तक की मिलने-जुलने पर भी पाबंदी लगा दी जाती है।
इटली, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों में जब कोरोना महामारी ने अपना कहर बरपाया तब कई देशों ने तीन-तीन बार लॉकडाउन लगाया। वहीं कई दुनिया ने बढ़ते मामलों के बावजूद लॉकडाउन नहीं लगाने का फैसला किया।
वहीं भारत में मार्च में लगे लॉकडाउन का अंत सीधा अक्टुबर महीनें में हुआ।
आर्थिक संकट और भारत की अर्थव्यव्स्था लाल निशान पर पहुंचने के बावजूद भारत सरकार ने नागरिकों के लिए लॉकडाउन को जल्द खत्म करने का फैसला नहीं लिया।
इस बीच भारत सरकार की काफी आलोचना भी हुई, वहीं मार्च 2020 में फिक्की ने एक सर्वें में दावा किया जिसमें केवल लॉकडाउन के कारण भारत में 53 फीसदी बिजनेस कोरोना महामारी के प्रभाव के कारण बंद पड़ गए थे।
बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए और कई सेक्टर ठप पड़ गए।
पर्यटन उद्योग से लेकर होटल इंडस्ट्री बिल्कुल ठप पड़ गई। बता दें कि इस इंडस्ट्री से ही केवल मार्च से अप्रैल तक 15 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। वहीं भारत की अर्थव्यवस्था को 32 हजार करोड़ का नुकसान हुआ।