कोरोना की दूसरी लहर में गायब हो गया आरोग्य सेतु ऐप

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नई दिल्ली: सरकार की कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग मोबाइल एप्लिकेशन ‘आरोग्य सेतु’, जो कोविड-19 के खिलाफ नागरिक सुरक्षा का पहला हथिया था, कोरोना की दूसरी लहर में अप्रासंगिक हो गया है।

आरोग्य सेतु संपर्क का पता लगाने वाला दुनिया भर में सबसे बड़ा मोबाइल ऐप है। इसे बीते साल 2 अप्रैल को लॉन्च किया गया था।

उसी महीने इसके 10 करोड़ यूजर हो गए थे। सितंबर के अंत तक इसके 15।7 करोड़ यूजर हो चुके थे। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने एक लिखित जवाब में संसद को इसकी जानकारी दी थी।

इस मामले से परिचित एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, वर्तमान में आरोग्य सेतु के 17 करोड़ उपयोगकर्ता हैं।

देश में उभरते हुए कोरोना हॉटस्पॉटों की पहचान करने में आरोग्य सेतु ऐप काफी मददगार साबित हुआ था।

सरकारी अधिकारी के अनुसार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में दूसरी लहर के लिए इसका लाभ उठाया जा रहा है। पहली लहर के समय, सरकारी कार्यालयों में काम करने वालों के लिए यह ऐप अनिवार्य हो गया था।

कई निजी कार्यालयों ने भी इसे अपनाया था। इसके अलावा हवाई यात्रा के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया था।

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, “इस मोबाइल ऐप का इस्तेमाल अब लोग टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कर रहे हैं।” आपको बता दें कि आरोग्य सेतु ऐप टीकाकरण पोर्टल से लिंक है।

उन्होंने कहा, “एप्लिकेशन केवल तभी काम कर सकता है जब डेटा फीड किया जाए। प्रयोगशालाओं में टेस्टिंग हो रही है, लेकिन वे आरोग्य सेतु पर मोबाइल नंबर अपडेट नहीं कर रहे हैं।

इसलिए उभरते हुए हॉटस्पॉट की पहचान करने में मदद नहीं मिल रही है।” अधिकारी ने कहा कि ऐप अभी भी वायरस के प्रसारण को रोकने के लिए नागरिकों को प्रारंभिक चेतावनी भेजने की कोशिश कर रहा था।

कथित खतरे के स्तर के आधार पर लोगों को रंग कोडिंग भी कर रहा था।

स्वतंत्र शोधकर्ता श्रीनिवास कोडाली ने कहा कि आरोग्य सेतु मुख्य रूप से स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर निर्भर था, जिसे सरकार उजागर करने में विफल रही है।

उन्होंने कहा, “हेल्थकेयर एप्लिकेशन की रीढ़ है। ऐप केवल तभी तक कार्य कर सकता है जब तक उसे डेटा प्रदान किया जा रहा है।

उन्होंने कहा ऐसे समय में जब परीक्षण जमीन पर नहीं हो रहा है, तो ऐप कैसे महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

सरकार ने इसे इस तरह से बढ़ावा दिया कि अगर किसी के पास ऐप है, तो उन्हें कोविड नहीं होगा। लेकिन बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है।

इसके अलावा, यह जादू नहीं है। जिस महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रकाश डाला जाना चाहिए था वह परीक्षण है।