राजस्थान: अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं जहां केस हार जाने पर लोग अपने वकील (Advocate) के साथ हाथापाई करने लगते हैं।
इन्हीं मामलों को देखते हुए राजस्थान (Rajasthan) के वकील यह मांग कर रहे थे कि अगर किसी ने भी वकील पर हाथ उठाया तो वह गैर जमानती अपराध (Bailable Offense) माना जाएगा।
वकीलों की इस लंबित मांग को पूरा करते हुए मंगलवार को सरकार ने विधानसभा (Assembly) में राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक 2023 (Advocate Protection Bill 2023) पारित करवाया।
इस विधेयक की मांग अधिवक्ता समुदाय लंबे समय से कर रहा था।
खुशी में अधिवक्ताओं ने गुलाल से खेली होली
सदन से यह विधेयक पारित होते ही अधिवक्ता समुदाय (Advocate Community) में खुशी की लहर दौड़ गई। विधेयक पारित होते ही सेशन कोर्ट (Sessions Court) में अधिवक्ताओं ने गुलाल से होली खेली।
इस बिल की मांग को लेकर प्रदेश की अदालतों में 20 फरवरी से वकील कार्य बहिष्कार पर चल रहे थे। अब बिल पारित होने के बाद वकील कल से अदालतों में काम पर लौटेंगे।
प्रत्येक 21 मार्च को धन्यवाद दिवस मनाने का फैसला
बिल पारित (Bill Passed) होने के बाद वकीलों ने सरकार का धन्यवाद भी जताया। द बार एसोसिएशन जयपुर (The Bar Association Jaipur) ने प्रत्येक 21 मार्च को धन्यवाद दिवस मनाने का ऐलान भी किया है।
बार काउंसिल के पूर्व चैयरमेन व कांग्रेस नेता सुशील शर्मा ने बताया कि यह कानून लाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों से पहले जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) जयपुर आए थे तब वकीलों ने उन्हें इस तरह के कानून का बनाने का ज्ञापन सौंपा था, जिसके बाद कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में इसे शामिल किया था लेकिन पिछले पिछले 4 साल से यह घोषणा लंबित चल रही थी।
मंत्री अशोक गहलोत का किया धन्यवाद
उन्होंने यह बिल पास करवाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधि मंत्री (Law Minister) शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) और सभी विधायकों का धन्यवाद दिया।
राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक 2023 में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, जिसमें अगर किसी वकील के साथ उसके कार्य के संबंध में हमला, घोर उपहित, आपराधिक बल, अपहरण का प्रयास किया गया तो यह गैर जमानती अपराध माना जाएगा।
इसके अलावा आरोप सिद्ध होने पर आरोपी को 7 साल की जेल और 20 हजार रुपए तक का जुर्माना (Fine) भी हो सकता है।
इसके साथ ही बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर वकील की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है तो न्यायालय आरोपी से वकील को क्षतिपूर्ति (Compensation) दिलवाएगा।
पहले बिल में यह प्रावधान न्यायालय परिसर तक ही सीमित किए गए थे लेकिन वकीलों की मांग पर इस बिल की धारा-3 में संशोधन करके उसे पूरे प्रदेश के लिए में लागू किया गया है।
इस Act का दुरुपयोग करने वाले वकील को मिलेगी 3 साल की सजा
मतलब अगर कहीं भी वकील पर उसके कार्य के संबंध में हिंसा की जाती है तो इस Act में वकील को प्रोटेक्शन (Protection) मिलेगा।
इसके अलावा बिल की धारा-9 को भी विलोपित कर दिया गया है।
पहले वकील द्वारा अपने कर्त्तव्य का निर्वहन नहीं करने पर Act में उसके खिलाफ मुवक्किल को भी शिकायत करने का अधिकार दिया गया था लेकिन क्योंकि एडवोकेट एक्ट (Advocate Act) में पहले से ही वकील की शिकायत का प्रावधान है।
ऐसे में इस Act से इस प्रावधान को हटा दिया गया है। वहीं धारा-11 को भी संशोधित किया गया है।
इसमें पहले कहा गया था कि अगर कोई वकील इस Act का दुरुपयोग करता है तो उसे 3 साल तक की सजा हो सकती थी लेकिन अब सजा को 2 साल तक कर दिया गया है।