नई दिल्ली: Manipur में बीते कई दिनों से हो रही हिंसा (Violence) में अभी तक 50 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
राज्य में स्थिति को बिगड़ता देख केंद्र (Center) ने अतिरिक्त सुरक्षा बलों को मणिपुर के लिए भेजा है।
सेना (Army) और पैरामिलिट्री (Paramilitary) के 10 हजार से ज्यादा जवानों की तैनाती के बाद यहां हिंसक घटनाओं में थोड़ी कमी जरूर आई है।
लेकिन इन सब के बीच सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसी कौन सी वजह है जिसके कारण यहां के लोग लगातार विरोध कर रहे हैं और हिंसा तक करने पर उतारू हैं।
मणिपुर में इंटरनेट बंद
हिंसा की वजह से मणिपुर (Manipur) में हालात इतने खराब है कि ऐहतियातन सरकार ने पूरे Manipur में इंटरनेट बंद (Internet Off) करने का फैसला लिया है, साथ ही हिंसा करने वालों को देखते ही गोली मारने का भी आदेश दिया जा चुका है।
हम आज आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर किस वजह से Manipur में बिगड़े हैं हालात और क्या है इस विवाद की मुख्य वजह।
मणिपुर हिंसा के पीछे 2 वजहें
Manipur में हिंसा के पीछे 2 वजहें बताई जा रही हैं। पहली वजह है यहां के मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) का दर्जा देना।
मणिपुर में मैतेई समुदाय (Meitei Community) बहुसंख्यक वर्ग (Majority Section) में आता है, लेकिन इन्हें अनुसचित जनजाति का दर्जा दे दिया गया है।
जिसका कुकी और नागा समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं। कुकी और नागा समुदायों के पास आजादी के बाद से ही आदिवासी का दर्जा है।
अब मैतेई समुदाय भी इस दर्जे की मांग कर रहा है जिसका विरोध कुकी और नागा समुदाय के लोग कर रहे हैं।
कुकी और नागा समुदाय का कहना है कि मैतेई समुदाय तो बहुसंख्यक समुदाय है उसे ये दर्जा कैसे दिया जा सकता है।
हिंसा की दूसरी वजह
हिंसा की दूसरी वजह है, सरकारी भूमि सर्वेक्षण (Government Land Survey)। राज्य की BJP सरकार आरक्षित वन क्षेत्र खाली करवा रही है।
आदिवासी ग्रामीणों से आरक्षित वन क्षेत्र खाली करवाया जा रहा है। और कुकी समुदाय (Cookie Community) सरकार के इस सर्वेक्षण (Survey) और अभियान का विरोध कर रहा है।
कुकी समुदाय के लोगों ने 3 मई को मैतेई समुदाय को मिलने वाले दर्जे और सरकार के फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया गया।
इसी प्रदर्शन में हिंसा शुरू हो गया। चार मई को जगह-जगह पर गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया।
4 तारीख को ही मैतेई और कुकी समदाय के बीच ये झगड़ा शुरू हो गया। पांच मई को जब हालात खराब हुए तो वहां पर सेना पहुंची।
इसके बाद 10 हजार से ज्यादा लोगों को दूसरी जगह Shift किया गया।
5 मई की ही रात भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी मिथांग की भीड़ ने हत्या कर दी। इनकी हत्या घर से निकालकर की गई।