नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव और विभिन्न विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी की कार्यप्रणाली पर उसके ही वरिष्ठ नेताओं की ओर से लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। कपिल सिब्बल के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने भी सवाल उठाए हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में भारी जीत के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबधंन (राजग) ने एक बार फिर जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बना ली है।
इस चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर जनता का विश्वास जीत खुद को और मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया है, तो वहीं राजनीति के बदलते परिदृश्य में कांग्रेस अपनी जमीन खोती नजर आ रही है। ऐसे में अब कांग्रेस में नेतृत्व और संगठन की कमजोरी को लेकर सवाल खड़े करने वाले पार्टी के नेताओं की संख्या बढ़ने लगी है।
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने पार्टी के संगठन पर सवाल उठाते हुए कहा कि विपक्षी महागठबंधन बिहार में बुरी तरह हार गया। उनका यह बयान पार्टी में आंतरिक दरार के मद्देनजर सामने आ रहा है।
चिदंबरम ने कहा, जैसे कि मैंने राजग से हारने वाले महागठबंधन को 0.03 प्रतिशत के अंतर से हराने की ओर इशारा किया है। अगर गठबंधन ने आठ और सीटें जीती होती, तो परिणाम 118 से 117 हो जाता (बजाय 110 से 125)। हम और वीआईपी ने आठ सीटें जीतीं।
इससे पहले, चिदंबरम ने जमीन पर पार्टी की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई थी और इसकी कमजोर संगठनात्मक संरचना की ओर इशारा किया था। उन्होंने कहा कि पार्टी को सीटों के बंटवारे में केवल जीतने वाली सीटों को चुनना चाहिए, भले ही इनकी संख्या कम हो।
लेकिन शुक्रवार को चिदंबरम ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में राजग में गिरावट है। उन्होंने कहा कि 2019 में और बाद के विधानसभा चुनावों और उपचुनावों में भाजपा ने केवल 218 सेगमेंट जीते हैं, इसके विपरीत, 2019 में बीजेपी ने 392 सेगमेंट जीते हैं।
कई नेताओं की ओर से खुलकर कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करने के बाद पार्टी आंतरिक कलह का सामना कर रही है।
मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ अहमद पटेल, अंबिका सोनी, रणदीप सुरजेवाला, के. सी. वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक ने बिहार के नतीजों के साथ-साथ उपचुनावों पर भी चर्चा की।
सूत्रों का कहना है कि बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और गुजरात प्रभारी राजीव सातव ने पद छोड़ने की पेशकश की, हालांकि सोनिया गांधी ने स्थिति का जायजा लेने तक उन्हें रोक कर रखा है।
सिब्बल ने भी बिहार चुनाव में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के लिए कांग्रेस के नेतृत्व की आलोचना की थी। सिब्बल ने कहा था कि ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियति मान ली है। उन्होंने कहा कि बिहार ही नहीं, उपचुनावों के नतीजों से भी ऐसा लग रहा है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं।
कपिल सिब्बल ने कहा था कि चिंताओं को उठाने के लिए कोई मंच नहीं है, इसलिए उन्हें सार्वजनिक तौर पर ऐसा कहना पड़ रहा है।