- कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नाम बदलने का संविधान में मौलिक अधिकार
- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने नाम बदलने से कर दिया था मना
- हाई कोर्ट में उस आदेश को चुनौती देने के बाद इसके अधिकार हुए स्पष्ट
- अधिकारियों ने मनमाने तरीके से किया नाम बदलने का आवेदन खारिज
प्रयागराज : Allahabad High Court ने फैसला सुनाया है कि पसंद का नाम रखने या व्यक्तिगत पसंद के अनुसार नाम बदलने का अधिकार भारत के संविधान (Constitution) में निहित मौलिक अधिकारों के दायरे में आता है।
न्यायमूर्ति अजय भनोट (Justice Ajay Bhanot) ने समीर राव की रिट याचिका (Writ Petition) पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया, जिसमें उत्तर प्रदेश (UP) के बरेली में माध्यमिक शिक्षा परिषद (Secondary Education Council) के क्षेत्रीय सचिव ने नाम बदलने वाले एक आवेदन को खारिज कर दिया था।
आवेदन की अस्वीकृति को चुनौती दी
High Court ने उत्तरदाताओं को याचिकाकर्ता को शाहनवाज से Md. समीर राव में अपना नाम बदलने और उक्त परिवर्तन को शामिल करते हुए नए हाई स्कूल (कक्षा 10) और इंटरमीडिएट (कक्षा 12) प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता ने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड (Board of Intermediate Education) द्वारा हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा प्रमाणपत्रों (Intermediate Examination Certificates) में अपना नाम बदलने के लिए अपने आवेदन की अस्वीकृति को चुनौती दी थी।
कानून में खुद को गलत तरीके से निर्देशित किया
अपने फैसले में, High Court ने फैसला सुनाया कि पसंद का नाम रखने या व्यक्तिगत वरीयता के अनुसार नाम बदलने का अधिकार अनुच्छेद 19 (1) (अ), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) और अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के दायरे में आता है।
High Court ने कहा, अधिकारियों ने मनमाने ढंग से नाम बदलने के आवेदन को खारिज कर दिया और कानून में खुद को गलत तरीके से निर्देशित किया।
अधिकारियों की कार्रवाई अनुच्छेद 19 (1) (ए), अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 14 के तहत गारंटीकृत याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।
बोर्ड में अपना नाम शाहनवाज से बदलकर Md. समीर राव किया
तथ्यों के अनुसार, माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा 2013 और 2015 में जारी किए गए हाई स्कूल परीक्षा प्रमाण पत्र और इंटरमीडिएट परीक्षा प्रमाण पत्र (Intermediate Examination Certificate) में याचिकाकर्ता (Petitioner) का नाम क्रमश: शाहनवाज के रूप में दर्ज था।
सितंबर-अक्टूबर 2020 में, उसने सार्वजनिक रूप से अपना नाम शाहनवाज (Shahnawaz) से बदलकर Md. समीर राव करने का खुलासा किया।
इसके बाद उसने 2020 में बोर्ड में अपना नाम शाहनवाज से बदलकर Md. समीर राव करने के लिए आवेदन किया। 24 दिसंबर 2020 उक्त आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया था।