अमरावती: अमरावती के किसानों और महिलाओं ने एक दिन के अंतराल के बाद मंगलवार को अपनी महापदयात्रा फिर से शुरू कर दी। उनकी मांग है कि शहर को आंध्र प्रदेश की एकमात्र राज्य की राजधानी बना कर रखा जाए।
इस वॉकथॉन का शीर्षक कोर्ट टू टेंपल है। इस यात्रा का लक्ष्य अमरावती से शुरू होकर तिरुपति तक पहुंचना है। आज इस यात्रा को शुरू हुए मंगलवार को नौ दिन पूरे हो गए हैं।
जय अमरावती के नारे लगाते हुए, प्रदर्शनकारियों ने प्रकाशम जिले के इंकोलू शहर से पैदल चलना शुरू किया। आयोजकों ने कहा कि प्रतिभागी दिन में 10.5 किमी की दूरी तय कर दुद्दुकुरु गांव पहुंचेंगे, जहां पर वह रात में आराम करेंगे।
इंकोलू और आसपास के गांवों के किसान एकजुटता दिखाने के लिए पैदल मार्च में शामिल हुए। उन्होंने मांग की है कि राज्य सरकार राजधानी को तीन भागों में बांटने की अपनी योजना को रद्द करे।
मेगा वॉकथॉन 1 नवंबर को थुलुरु से शुरू हुई और 17 दिसंबर को तिरुपति में समाप्त होगी।
अमरावती परिक्षण समिति और अमरावती संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) पैदल मार्च का आयोजन कर रही है। प्रतिभागी रोजाना 10-15 किमी की दूरी तय कर रहे हैं।
गुंटूर, प्रकाशम, नेल्लोर और चित्तूर जिलों के 70 प्रमुख गांवों से गुजरते हुए तिरुमाला के श्री वेंकटेश्वर मंदिर तक पहुंचने के लिए वॉकथॉन अगले 45 दिनों तक जारी रहेगी।
पैदल मार्च गुंटूर जिले से गुजरने के बाद पिछले सप्ताह प्रकाशम जिले में प्रवेश किया। इस मार्च में विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के स्थानीय नेताओं ने भी हिस्सा लिया।
सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) को छोड़कर सभी राजनीतिक दल महापदयात्रा को समर्थन दे रहे हैं। हालांकि, वाईएसआरसीपी ने पैदल मार्च को टीडीपी अध्यक्ष और विपक्ष के नेता एन चंद्रबाबू नायडू की चाल बताया है।
अमरावती के किसान राज्य की राजधानी को तीन हिस्सों में बांटने की राज्य सरकार की योजना के खिलाफ 660 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। महापदयात्रा के साथ, उनका विरोध एक नए चरण में प्रवेश कर गया।
2019 में सत्ता में आने के बाद, वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सरकार ने अमरावती को केवल विधायी राजधानी के रूप में बनाए रखते हुए प्रशासनिक राजधानी को विशाखापत्तनम और न्यायिक राजधानी को कुरनूल में स्थानांतरित करने का फैसला किया।