कोलकाता: गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्वभारती विश्वविद्यालय की जमीन अवैध तरीके से कब्जा करने के आरोप में घिरे नोबेल विजेता अमर्त्य सेन ने अब भाजपा शासित राज्यों में लव जिहाद कानूनों पर विवादास्पद टिप्पणी की है।
उन्होंने कहा है कि इस तरह का कानून बनाना मानवीय अधिकारों का हनन है और सुप्रीम कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।
एक विदेशी चैनल को दिए साक्षात्कार में सेन ने कहा है कि जहां ‘लव’ है वहां ‘जिहाद’ नहीं होता।
प्यार करना बिलकुल निजी अधिकार है और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
लव जिहाद के नाम पर बन रहे कानून चिंताजनक हैं।
लव जिहाद के कानूनों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, यह मानवीय स्वतंत्रता में हस्तक्षेप प्रतीत हो रहा है।
जीवन का अधिकार एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है लेकिन, इस कानून के परिणामस्वरूप मानव अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।
क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने धर्म को दूसरे धर्म में बदल सकता है अैार इसे संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त है। इसलिए लव जिहाद कानून असंवैधानिक है।
अमर्त्य सेन ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।
इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया जाना चाहिए।
यह एक बहुत बड़ा मुद्दा है। भारत के इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है।
अकबर के समय में, एक नियम था कि कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को अपना सकता है और किसी भी धर्म में शादी कर सकता है। हमारे देश में यह संस्कृति है।
हमारा संविधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के बारे में बहुत स्पष्ट है। नतीजतन, इस तरह का कानून संविधान का अपमान है।”
उन्होंने कहा, ‘लव’ में कोई ‘जिहाद’ नहीं है। यदि आप किसी अलग धर्म के व्यक्ति से प्रेम विवाह करते हैं तो इसमें कोई ‘जिहाद’ नहीं हो सकता है।
ऐसे धर्म को छोड़ने और दूसरे धर्म को अपनाने में कोई समस्या नहीं है। भारत का अपमान किया जा रहा है।
यह भारत की संस्कृति नहीं है। मुझे विश्वास है कि अदालत कदम उठाएगी।
उन्होंने कहा कि लव जिहाद जैसे कानून भारत की संस्कृति पर कुठाराघात है और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को तुरंत कदम उठाना चाहिए।
अमर्त्य सेन की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब एक के बाद एक भाजपा शासित राज्य लव जिहाद के नाम पर धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने की दिशा में आगे बढ़े हैं।