नेपीता: म्यांमार की नई सैन्य-नेतृत्व वाली राज्य प्रशासन परिषद ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता व व्यक्तिगत सुरक्षा कानून के लिए नागरिकों के संरक्षण में संशोधन करते हुए एक आदेश जारी किया है।
सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि शनिवार को जारी आदेश के अनुसार, 1 फरवरी को घोषित आपातकाल के दौरान कानून की धारा 5, 7 और 8 को निलंबित कर दिया जाएगा।
निलंबित धारा 5 में कहा गया है कि संबंधित मंत्रालय और जिम्मेदार अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि नागरिक की गोपनीयता और सुरक्षा को कोई नुकसान न हो।
इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि कोई भी कार्रवाई कानून के अनुरूप हो।
कोई भी अधिकारी तलाशी, संपत्ति जब्त करने या गिरफ्तारी के उद्देश्य से किसी भी व्यक्ति के निवास या निजी स्थानों में तब तक प्रवेश नहीं करेंगे जब तक कि स्थानीय प्रशासनिक संगठनों के न्यूनतम दो गवाह उनके साथ न हों।
कानून की निलंबित धारा 7 में कहा गया है कि किसी को अदालत से अनुमति के बिना 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता, जब तक कि हिरासत मौजूदा कानून के अनुसार न हो।
धारा 8 में तलाशी, जब्ती या गिरफ्तारी, सर्वेक्षण करने, किसी की जासूसी करने या उसकी जांच करने, दूरसंचार ऑपरेटरों से व्यक्तिगत टेलीफोनिक व इलेक्ट्रॉनिक संचार डेटा की मांग या प्राप्त करने के उद्देश्य से किसी नागरिक के निजी आवास या कमरे में मौजूदा कानून या जिम्मेदार प्राधिकारी के आदेश, अनुमति या वारंट के बिना प्रवेश को सीमित कर दिया था क्योंकि इससे नागरिक की गोपनीयता और सुरक्षा बाधित हो सकती है।
यह धारा किसी अन्य व्यक्ति के निजी पत्राचार, लिफाफे, पैकेज या पार्सल को खोलने, खोजने, जब्त करने या नष्ट करने पर भी प्रतिबंध लगाता है क्योंकि यह किसी नागरिक के व्यक्तिगत या पारिवारिक मामलों में हस्तक्षेप करना है, किसी भी तरह से उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है।
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति यू विन मिंत और स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची को एक फरवरी को सेना ने नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के अन्य अधिकारियों के साथ हिरासत में ले लिया था।
तख्तापलट के बाद एक वर्ष के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी गई।
सेना ने 8 नवंबर, 2020 के आम चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली का हवाला देते हुए नए संसदीय सत्रों को स्थगित करने की मांग की थी, जिसमें संसद के दोनों सदनों में एनएलडी को अधिकांश सीटों पर जीत मिली थी।
हालांकि म्यांमार के केंद्रीय चुनाव आयोग ने इस आरोप को खारिज कर दिया था।