Akshardham Inaugurated in America: अमेरिका में सबसे बड़े हिंदू मंदिर बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम (BAPS Swaminarayan Akshardham) का उद्घाटन हुआ।
भगवान स्वामीनारायण (Lord Swaminarayan) को समर्पित मंदिर का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था और इस साल बनकर तैयार हुआ है। इसे दुनियाभर के 12,500 Volunteers द्वारा बनाया गया है। मंदिर की कई प्रमुख अनूठी विशेषताएं हैं। ये मंदिर 185 एकड़ में फैला है।
2005 में नई दिल्ली में अक्षरधाम
बता दें कि विश्व स्तर पर बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम (BAPS Swaminarayan Akshardham) हिंदू कला, वास्तुकला और संस्कृति के मील के पत्थर हैं और यह आध्यात्मिक और कम्युनिटी हब के रूप में माने जाते हैं, जो सभी धर्मों और पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों को आकर्षित करते हैं।
न्यूजर्सी में अक्षरधाम विश्व स्तर पर तीसरा ऐसा सांस्कृतिक परिसर है। पहला अक्षरधाम 1992 में गुजरात की राजधानी गांधीनगर में बनाया गया था। उसके बाद 2005 में नई दिल्ली में अक्षरधाम बनाया गया था।
कब होगा टेंपल का उद्घाटन
न्यूजर्सी के रॉबिन्सविले में 30 सितंबर को शुरू हुए 9 दिवसीय उत्सव के बाद रविवार को अक्षरधाम टेंपल का भव्य कार्यक्रम में उद्घाटन हुआ। उसके बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। स्वामी महाराज ने अनुष्ठानों और पारंपरिक समारोहों के बीच मंदिर में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह आयोजित किया।
वॉलंटियर्स लेनिन जोशी ने कहा…
वॉलंटियर्स लेनिन जोशी (Volunteers Lenin Joshi) ने कहा, स्वामीनारायण अक्षरधाम भारत की विरासत और संस्कृति को आधुनिक अमेरिका के सामने प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा, इसे दुनियाभर के वॉलंटियर्स द्वारा बनाया गया।
इसमें परंपराओं को संरक्षित करने की कोशिश की है। शांति, आशा और सद्भाव का संदेश दिया गया है। जोशी ने कहा, हम पिछले कई वर्षों से इस पल का इंतजार कर रहे थे।
उन्होंने कहा, आखिरकार वो दिन आ गया, जब देशभर से लोग मंदिर में आ सकेंगे और भारतीय हिंदू परंपरा, शांति, भक्ति और वास्तुशिल्प चमत्कार के प्रतीक मंदिर में भव्य दर्शन कर सकेंगे।
निर्माण में 1.9 मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर का उपयोग
उन्होंने कहा कि मंदिर का निर्माण (Construction of Temple) लगभग 12,500 वॉलंटियर्स ने किया है। इसमें सभी वर्गों के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों योगदान दिया है। इन लोगों ने अपनी नौकरी और पढ़ाई से छुट्टी ली और मंदिर के निर्माण के लिए खुद को दिनों और महीनों के लिए समर्पित कर दिया।
जोशी ने मंदिर के कुछ अनूठे पहलुओं पर भर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, इसके निर्माण में 1.9 मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर का उपयोग किया गया है। पत्थर को दुनियाभर के 29 से ज्यादा विभिन्न स्थलों से मंगाया गया है, जिसमें भारत से ग्रेनाइट, राजस्थान से बलुआ पत्थर, म्यांमार से सागौन की लकड़ी, ग्रीस, तुर्की और इटली से संगमरमर और बुल्गारिया और तुर्की से चूना पत्थर आया है।
उन्होंने कहा, मंदिर को प्राचीन भारतीय कला, वास्तुकला और संस्कृति (Indian Art, Architecture and Culture) को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है, जिसमें 10,000 मूर्तियां, प्राचीन भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों और नृत्य रूपों की नक्काशी के साथ-साथ भारत की पवित्र नदियों का पानी भी शामिल है।
‘हम यहां वास्तविक विविधता देख सकते हैं’
न्यूयॉर्क शहर के मेयर कार्यालय के उपायुक्त दिलीप चौहान ने बताया कि अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन (Akshardham Temple Inauguration) और समर्पण पूरे अमेरिका में भक्तों, स्वयंसेवकों और अनुयायियों के लिए एक सपने के सच होने जैसा है।
उन्होंने कहा, रॉबिन्सविले में अक्षरधाम सिर्फ किसी एक समुदाय के लिए एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक परिसर सभी समुदायों को एक साथ लाने वाला है और स्थानीय, राज्य और संघीय सरकार और आस्था-आधारित समुदाय के बीच एक पुल होगा। चौहान ने कहा, ‘हम यहां वास्तविक विविधता देख सकते हैं।
8 अक्टूबर को हुआ अक्षरधाम दिवस
चौहान (Chauhan) ने कहा, अमेरिकी कांग्रेस सदस्य ग्रेस मेंग ने पश्चिम, मध्य और पूर्वोत्तर क्वींस समेत न्यूयॉर्क शहर के क्वींस क्षेत्र के कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट में 8 अक्टूबर को ‘अक्षरधाम दिवस’ के रूप में समर्पित किया है।
उन्होंने कहा, हालांकि अक्षरधाम न्यूजर्सी में है, लेकिन न्यूयॉर्क भी इसका हिस्सा बनना चाहता है। न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी और पूरा संयुक्त राज्य अमेरिका अक्षरधाम के महत्व का जश्न मनाना चाहता है। यही कारण है कि मेंग ने 8 अक्टूबर, 2023 को ‘अक्षरधाम दिवस’ के रूप में समर्पित किया है।
उन्होंने कहा, ये संदेश जो अब सार्वभौमिक हैं, अमेरिकियों, हिंदू अमेरिकियों और यहां आने वाले अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों से इस तरह से बात करते हैं जो उनके लिए परिचित है।
यह एक सनातन हिंदू मंदिर (Hindu temple) है जिसमें उस सार्वभौमिक संदेश की अभिव्यक्ति है जो दुनिया को बताता है। त्रिवेदी ने कहा, जब दुनिया वास्तव में विभाजित है और अमेरिकी समाज में भी लोगों के बीच विभाजन है, तब यह मंदिर उन लोगों को एक साथ लाने की दिशा में एक कदम है। लोगों को यह एहसास कराने में मदद करने के लिए कि हमें मानवता का जश्न मनाने की जरूरत है।
उन चीजों का जश्न मनाएं जो हम साझा करते हैं। समान हैं, न कि उनका जो हमें विभाजित करते हैं। यही हमारे गुरु प्रमुख स्वामी महाराज का संदेश है और यही इस समावेशी महामंदिर अक्षरधाम का केंद्रीय विषय और संदेश है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज (Ambassador Ruchira Kamboj) भी 8 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के राजदूतों और प्रतिनिधियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ मंदिर पहुंची थीं।
धर्म के विद्वान योगी त्रिवेदी ने कहा…
न्यूयॉर्क के मीडिया और धर्म के विद्वान योगी त्रिवेदी ने कहा, मंदिर की नींव निस्वार्थ सेवा और भक्ति की भावना से जुड़ी है। यह भावना ना सिर्फ हिंदू-अमेरिकियों, भारतीयों और भारतीय-अमेरिकियों से, बल्कि अमेरिका और पूरे विश्व की बात करेगी।
यह समावेशिता की भावना और लोगों को एक साथ लाने की भावना है जो मंदिर में आने वाले लोगों से बात करेगी। त्रिवेदी ने कहा, भक्ति अध्ययन में विशेषज्ञता वाले लेखक और मंदिर में स्वयंसेवक भी हैं। उन्होंने कहा, जहां वास्तुशिल्प नवाचार (Architectural innovation) अपने आप में विस्मयकारी है, वहीं मंदिर के संदेश में नवाचार अद्वितीय और पथप्रदर्शक है।