वॉशिंगटन: भारत के दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक के एक शैक्षणिक संस्थान में उपजे हिजाब विवाद की आंच अब अमेरिका तक पहुंच गई है।
अब अमेरिका भी इस मसले पर कूद पड़ा है। बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामले के राजदूत रशद हुसैन ने कहा है कि कर्नाटक सरकार को इसका फैसला नहीं करना चाहिए कि कोई मजहबी पोशाक पहने या नहीं।
भारतीय मूल के हुसैन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा कि किसी की मजहबी आजादी सुनिश्चित करने के लिए उसे उसके मजहब की पोशाक पहनने की आजादी भी होनी चाहिए।
बाइडेन प्रशासन के इस अधिकारी ने ट्वीट किया, ‘अपनी मजहबी पोशाक पहनना भी धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा है।
भारतीय प्रदेश कर्नाटक को मजहबी पहनावे की अनुमति निर्धारित नहीं करनी चाहिए। स्कूलों में हिजाब पर पाबंदी मजहबी आजादी का हनन है और महिलाओं एवं लड़कियों के लिए खास धारणा बनाती हैं और उन्हें हाशिये पर धकेलती है।’
ध्यान रहे कि हिजाब का मामला कर्नाटक हाई कोर्ट के सामने है जिसने स्कूलों में हिजाब पहनने पर अंतरिम रूप से रोक लगा रखा है। मामले में सुनवाई सोमवार से बहाल होगी।
इस बीच मामला सुप्रीम कोर्ट के पास भी आ गया है। भारत की सर्वोच्च अदालत ने हिजाब विवाद में यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि वह हाई कोर्ट का आखिरी आदेश आने से पहले कोई टिप्पणी नहीं करेगा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने कर्नाटक हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता के वकील से यह सोचने के लिए कहा कि क्या इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर लाना उचित है।
सीजीआई ने मौखिक रूप से कहा, ‘इन बातों को बड़े स्तर पर न फैलाएं… हम इस पर कुछ भी व्यक्त नहीं करना चाहते हैं।’
जस्टिस रमण ने कामत से कहा, ‘हम इसे देख रहे हैं और हम जानते हैं कि क्या हो रहा है। सोचें, क्या इसे राष्ट्रीय स्तर पर लाना उचित है।’
एंबेसडर-एट-लार्ज ऐसा राजदूत होता है जिसे विशेष जिम्मेदारियां दी जाती हैं लेकिन वह किसी खास देश के लिए नियुक्त नहीं होता है।
रशद हुसैन की जड़ें भारत के बिहार राज्य से जुड़ी हुई हैं। 41 वर्षीय हुसैन को 500 प्रभावशाली मुस्लिम लोगों में शामिल किया गया था।
उन्हें पिछले वर्ष जुलाई महीने में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता विभाग का एंबेसडर-एट-लार्ज नियुक्त करने की घोषणा की गई थी।