वाशिंगटन: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच क़रीब दो घंटे तक वीडियो कॉल के माध्यम से बातचीत हुई।
वार्ता के दौरान चीनी राष्ट्रपति ने अमेरिका को भरोसा दिलाया है कि चीन नहीं चाहता कि रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध आगे बढ़े।
वहीं अमेरिका ने रूस को एक बार फिर आक्रांता बताते हुए रूस की मदद करने पर गंभीर परिणाम होने की चेतावनी दी है। हालांकि चीन ने इससे इनकार किया है।
शुक्रवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने स्थानीय समय के अनुसार ठीक सुबह नौ बज कर तीन मिनट पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ फ़ोन पर यूक्रेन और रूस के युद्ध से उपजी परिस्थितयों पर चर्चा की।
इन दोनों महाशक्तियों के नेताओं के बीच तय समय के अनुसार क़रीब दो घंटे तक बातचीत हुई। यूक्रेन-रूस के युद्ध के बाद दोनों नेताओं की पहली बार फ़ोन पर वार्ता हुई है। वैसे दोनों चार बार बात कर चुके हैं।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन को एक बार फिर चेतावनी दी है कि यूक्रेन-रूस के युद्ध में चीन ने आक्रांता रूस को सैन्य अथवा आर्थिक सहयोग दिया तो उसके गम्भीर परिणाम होंगे।
बाइडेन ने दो टूक शब्दों में कहा कि रूस आक्रांता है और उसने अवांछित और अन्यायिक युद्ध की शुरुआत की है और उसे इस युद्ध की कीमत चुकानी होगी।
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि बाइडेन ने इस युद्ध के संदर्भ में शी के सम्मुख अमेरिका और पश्चिमी देशों के रूख स्पष्ट किया है।
अमेरिका की ताइवान पर नीति के संदर्भ में बाइडेन ने कहा कि अमेरिका आज भी वन चाइना नीति पर अडिग है लेकिन उसने यह भी दोहराया है कि ताइवान की आज़ादी में कोई ख़लल अथवा किसी तरह के हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा। ताइवान में एक चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार है।
बताया गया कि जिनपिंग का कहना था कि रूस और नाटो प्रतिनिधि आमने सामने बात करें। चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि चीन अमेरिका के साथ शीतयुद्ध की स्थिति नहीं चाहता और न ही वह रूस को युद्ध में कोई सैन्य और आर्थिक मदद देना चाहता है।
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीनी राष्ट्रपति ने जो बाइडेन को यह भी आश्वस्त किया है कि वह अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता समझते हैं और ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहेंगे, जिस से अंतरराष्ट्रीय शांति और सद्भाव के लिए ख़तरा पैदा हो।
चीनी अधिकृत सरकारी मीडिया एजेंसी ने दावा किया है कि शी ने अमेरिका को सचेत किया है कि रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों से ग्लोबल इकानमी को धक्का लगेगा।
आर्थिक प्रतिबंध समस्या का समाधान नहीं है। चीनी राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका का यह दावा सरासर बेबुनियाद है कि रूस ने चीन से सैन्य और आर्थिक सहयोग मांगा है और चीन इस तरह के किसी सहयोग की योजना बना रहा है।
दोनों राष्ट्रपतियों की वार्ता के बाद व्हाइटहाऊस ने बयान जारी कर कहा कि बातचीत के दौरान बाइडेन का रूस के प्रति रुख़ कड़ा और दो टूक था।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन सप्ताह के अमेरिकी रुख़ को देखते हुए चीन धीरे चलो की नीति अपना रहा है। इसके बावजूद अमेरिकी मीडिया चीन पर भरोसा नहीं कर पा रहा है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने बार-बार यह दोहराया है कि रूस की सैन्य शक्ति दम तोड़ रही है और उसने चीन से सैन्य सहयोग मांगा है।
इस पर चीनी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने पहले ही ऐसे किसी सहयोग करने से इनकार करने के साथ साफ किया था कि रूस ने कोई सैन्य सहायता या आर्थिक मदद नहीं मांगी है।