Amit Shah’s patna visit: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार के दो दिवसीय दौरे पर हैं।यह दौरा बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।
शाह का यह दौरा न केवल NDA की चुनावी तैयारियों को गति देगा, बल्कि गठबंधन के एजेंडे को मजबूत करने की रणनीति के तहत भी देखा जा रहा है।इसके साथ ही, नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति को स्पष्ट करने में भी यह दौरा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
कार्यकर्ताओं में उत्साह और संगठन को मजबूती
NDA के लिए यह दौरा नई ऊर्जा का संचार करने वाला साबित हो सकता है।
अमित शाह पटना और गोपालगंज में कार्यकर्ताओं और नेताओं में उत्साह भरने का काम करेंगे। वे BJP सांसदों, विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक कर संगठन को मजबूत करने पर मंथन करेंगे।
गोपालगंज में होने वाली जनसभा के जरिए यह संदेश दिया जाएगा कि केंद्र और राज्य में गठबंधन की सरकार पूरी मजबूती के साथ चुनाव में उतर रही है। यह विपक्षी महागठबंधन को स्पष्ट संकेत होगा कि एनडीए आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में है।
सुशासन और विकास पर जोर, विपक्ष के नैरेटिव का जवाब
शाह इस दौरे के दौरान सुशासन और विकास के मुद्दों को जोर-शोर से उठाकर विपक्ष के ‘जंगलराज’ के नैरेटिव का जवाब देने की कोशिश करेंगे।
साथ ही, सहकारिता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेकर घोषणाएं कर ग्रामीण मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया जाएगा। बिहार में कृषि और सहकारी समितियों का बड़ा आधार है, जिसे मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं।
इसके अलावा, हिंदुत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे, खासकर सीमांचल क्षेत्र में, प्रमुखता से उठाए जा सकते हैं।CAA और घुसपैठ जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है, जो पहले भी शाह के दौरों में अहम रहे हैं।
गठबंधन की एकता और नीतीश के नेतृत्व पर स्पष्टता
अमित शाह इस दौरे के जरिए NDA गठबंधन की एकता को प्रदर्शित करने का प्रयास करेंगे।
वे यह दिखाने की कोशिश करेंगे कि BJP, JDU और अन्य सहयोगी दल पूरी तरह एकजुट हैं और बिहार में स्थिर सरकार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर लंबे समय से असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
2022 में NDA से अलग होने और 2024 में वापसी के बाद से उनके भविष्य को लेकर अटकलें तेज हैं। शाह इस ऊहापोह को खत्म करने की दिशा में कदम उठा सकते हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि बिहार में मुख्यमंत्री पद का फैसला एनडीए के सभी दलों द्वारा सामूहिक रूप से लिया जाएगा।
इस दौरे में वे यह संकेत दे सकते हैं कि 2025 में नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे, जिससे JDU और BJP कार्यकर्ताओं में चल रही अनिश्चितता खत्म हो जाएगी।
विपक्ष के हमलों का जवाब और नीतीश के साथ साझेदारी का प्रदर्शन
विपक्ष अक्सर नीतीश कुमार की विश्वसनीयता और उनकी ‘पलटू राम’ छवि पर हमला करता रहा है। शाह इस नैरेटिव को तोड़ने के लिए नीतीश कुमार के साथ अपनी मजबूत साझेदारी का प्रदर्शन कर सकते हैं। इस दौरे से न केवल गठबंधन की एकजुटता का संदेश जाएगा, बल्कि विपक्ष के हमलों का जवाब देने में भी मदद मिलेगी।