बीजिंग: चीन में तमाम एक से बढ़कर एक समुद्री शहर हैं, जो अपनी सुंदरता और मनोरम ²श्यों के लिए जाने जाते हैं, पर उनमें से एक समुद्री शहर ऐसा भी है जो अपनी खूबसुरती की गाथा खुद कहता है।
दक्षिण चीन के हाईनान प्रांत का सान्या शहर देसी-विदेशी पर्यटकों के बीच अपनी खास पहचान बना चुका है। जैसे भारत में समुद्री तट की बात हो तो सबसे पहला नाम गोवा का आता है, उसी तरह चीन में अगर बीच पर घूमने का मन हो तो सान्या से अच्छा विकल्प और कोई हो ही नहीं सकता।
प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग और चीन का हवाई कहा जाने वाला सान्या शहर दक्षिण चीन के हाईनान प्रांत के दक्षिण छोर पर स्थित है और समुद्र से घिरा हुआ है।
नीला आसमान, सफेद रेत, साफ नीला समुद्र और हरे पहाड़ इस शहर के समुद्री ²श्य के परिचायक हैं।
यहां का स्वच्छ वातावरण, चौड़ी सड़कें, हरियाली और प्रदूषण रहित ताजी हवा सभी प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। सान्या शहर अन्य शहरों के मुकाबले बहुत ज्यादा साफ-सुथरा नजर आता है।
दरअसल, सान्या शहर जितना सुंदर है उतने ही सुंदर उसके गांव भी हैं। सान्या शहर के चीयांग जिला के चोंगल्याओ गांव का दौरा कर यह साफ हो गया कि स्थानीय प्रशासन गांववासियों की इच्छाओं व जरूरतों पर खासा ध्यान देती है।
गांव में सड़क निर्माण के अलावा पेय जल परियोजना, फल-वृक्षों की सिंचाई परियोजना, पुराने मकान की मरम्मत और सुधार, ग्रामीणों के लिए नए गतिविधि स्थल भी स्थापित किए गए हैं।
वहीं, इस गांव में प्राकृतिक सौंदर्य और स्वच्छ पर्यावरण बरकरार रखने के लिए स्थानीय सरकार द्वारा किसी भी कंपनी को कारखाना या बिजनेस करने की अनुमति नहीं दी गई।
गांववासी भी इस फैसले के हक में थे। गांववासी बिलकुल नहीं चाहते थे कि उनके गांव के पर्यावरण एवं प्राकृतिक सौंदर्य को नुकसान पहुंचे।
ली और म्याओ अल्पसंख्यक जनजाति का यह गांव अपने आप में अनूठा है। सान्या शहर के अन्य दूसरे गांवों में कारखाने और कंपनियों के कदम रखने से वहां का प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण प्रभावित हुआ।
वहां की साफ-स्वच्छ हवा प्रदूषित हुई, साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य को भी क्षति पहुंची। इसे देखते हुए चोंगल्याओ गांव के किसानों ने किसी भी फैक्ट्री या कंपनी को गांव में आने की अनुमति नहीं दी।
गांव के एक बुजुर्ग नेता ने बताया कि उनके गांव में कई कंपनियों की तरफ से जमीन लेने के प्रस्ताव आए थे, जो कई गुणा रकम देने को तैयार थे, पर सभी गांव वालों ने प्रस्ताव नामंजूर करते हुए मना कर दिया। सभी का मानना है कि इस गांव की खूबसूरती और पर्यावरण को बरकरार रखेंगे और किसी भी प्रकार की हानि नहीं होने देंगे।
आज गांव में किसान ग्रामीण पर्यटन और फल-वृक्ष उगाने की प्राथमिकता वाले उद्योग के विकास पर जोर देते हैं। लोगों के जीवन में दिन-ब-दिन सुधार आया है। लोग अधिकतर खेती से ही अपना भरन-पोषण करते हैं और ज्यादातर नारियल, केला, पपीता, आम उगाते हैं। सरकार किसानों की बुनियादी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए उनके घर बनवाने से लेकर सड़क, सामुदायिक भवन, स्कूल आदि का निर्माण कर रही है।
पर्यावरण पर खासा ध्यान देते हुए यहां बिजली से चलने वाले वाहनों को ही चलने की अनुमति है, साथ ही जगह-जगह पर चाजिर्ंग बूथ भी बनाए गये हैं। गांव में साइकिल चलाने वालों के लिए अलग से एक साइकिल लेन का निर्माण किया गया है। इसके अलावा सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने की योजना के तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में स्ट्रीट लाइट और घरों पर सोलर पैनल्स लगाए गये हैं। कहा जाए तो यह पूरा गांव इको-फ्रैंडली है।
बहरहाल, चीन की सरकार अभी इस प्रोजेक्ट को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देख रही है। यह प्रयोग सफल रहा तो अन्य गांवों में भी इस तरह का प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। सच में, प्रकृति का सबसे कीमती उपहार माना जाने वाला सान्या शहर जीवनभर याद रहने वाला अनुभव है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)