नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने जानवरों को परिवहन में इस्तेमाल पर उस वाहन को कब्जे में करने और पशुओं को गोशाला में भेजने के 2017 के नियम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान इस नियम को अतार्किक बताया है।
चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि पशु आजीविका का साधन हैं।
उन्हें ज़ब्त करना गलत है, सरकार नियम में संशोधन करे।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि बिल्लियां और कुत्ते को छोड़ कर बहुत से जानवर बहुत से लोगों की आजीविका के स्रोत हैं, आप इसे नहीं ले जा सकते, आपके नियम विरोधाभासी हैं।
उसके बाद एएसजी जयंत सूद ने अतरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा।
उसके बाद कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 11 जनवरी को करने का आदेश दिया।
याचिका बुफैलो ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से वकील सनोबर अली कुरैशी ने दायर किया है।
याचिका में प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स एक्ट के 2017 के नियमों को चुनौती दी गई है।
इस कानून के रुल 3, 5, 8 और 9 के तहत जानवरों को परिवहन में इस्तेमाल पर उस वाहन को कब्जे में करने और पशुओं को गोशाला में भेजने का अधिकार दिया गया है। याचिका में इन नियमों को निरस्त करने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि जानवरों के व्यापार से जुड़े लोगों, किसानों और ट्रांसपोर्टर्स को इन नियमों की आड़ में असामाजिक तत्वों की ओर से धमकियों का सामना करना पड़ता है।
असामाजिक तत्व जानवरों को आए दिन लूट लेते हैं और वे खूद कानून को हाथ में ले लेते हैं।
ऐसी घटनाओं से सांप्रदायिक तनाव भी उत्पन्न होता है। अगर ऐसी घटनाओं पर लगाम नहीं लगाई जाती है तो ये देश के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर देगा।