नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम (Deputy CM) मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्ट्राचार (Corruption) का मामला दर्ज कर जांच करने की मंजूरी दी है।
ये मंजूरी दिल्ली सरकार (Delhi Government) की Feed Back Unit-FBU के गठन और उसमें की गई अवैध नियुक्तियों में हुए Corruption को लेकर की गई है।
इस मामले में CBI ने नवंबर 2016 में प्राथमिकी दर्ज कर अपनी जांच शुरू की थी और पाया था कि इस यूनिट को बनाने में Corruption किया गया है और नियमों को ताक पर रख कर इस यूनिट का गठन किया गया है।
ये जांच सीबीआई ने तत्कालीन डिप्टी सेक्रेटरी (Deputy Secretary) विजिलेंस Delhi Government केएस मीणा की शिकायत पर की थी।
क्या है पूरा मामला
Delhi Government ने फरवरी 2016 में दिल्ली सरकार के अधिन काम करने वाले कर्मचारियों के Corruption और कामकाज पर नजर रखने के लिए Feed Back Unit का गठन किया था।
इसके लिए दिल्ली सरकार की केबिनेट मीटिंग (Cabinet Meeting) 29 सितंबर 2015 में FBU के गठन की मंजूरी दी गई थी और उसके बाद तत्कालीन सेक्रेटरी विजिलेंस (Secretary Vigilance) ने 28 अक्टूबर 2015 को दिल्ली के मुख्यमंत्री को FBU गठन का प्रपोजल दिया, जिसे मंजूर किया गया।
इस नोट के मुताबिक FBU Secretary Vigilance को रिपोर्ट करेगी। फरवरी 2016 में इस यूनिट का गठन किया गया। इस यूनिट में शुरूआत में 20 भर्तियां की जानी थी, जिसके लिए दिल्ली सरकार के उधोग विभाग की 22 पोस्ट को खत्म कर के लिया जाना था, लेकिन बाद में Delhi Government की एंटी करप्शन ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) की 88 पोस्ट में से 20 भर्तियां FBU में करने की बात हुई, क्योंकि ACB भी विजेलेंस विभाग के अधिन काम करता है।
हालांकि, ACB में जिन 88 पोस्ट भरने की बात की जा रही थी, उसका भी सिर्फ प्रपोजल था और LG की तरफ से मंजूरी नहीं ली गई थी।
उपराज्यपाल ने पूरी जांच के लिए भेजा सीबीआई को
केंद्र सरकार (Central Government) के गृह मंत्रालय (Home Ministry) की तरफ से जारी तीन चिट्ठियां 23 मई 1996, 1 जनवरी 1997 और 3 सिंतबर 1997 से ये साफ है कि दिल्ली में किसी भी नई भर्तियों, पोस्ट का गठन या फिर रिटार्यड कर्मचारियों (Retired Employees) की भर्ती के लिए LG की मंजूरी जरूरी है, लेकिन इसके बावजूद इसकी अनदेखी की गई।
दिल्ली के मुख्यमंत्री के सचिव ने 29 अप्रैल 2015 को चिट्ठी लिखी थी कि दिल्ली से जुड़े मामलों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री बिना उप राज्यपाल (Governor) को बताये फैसला ले सकते हैं, लेकिन ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में चल रहा था और इसका कोई फैसला नहीं हुआ था।
इसके बाद जब 4 अगस्त 2016 को High Court का फैसला आया तो Feed Back Unit की मंजूरी के लिए दो दिन बाद Delhi Government की तरफ से LG को मंजूरी के लिए फाइल भेजी गई लेकिन उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) ने इस मामले में नियमों की अवहेलना और पूरी जांच के लिए मामला CBI को भेज दिया।
AR Department को नहीं मिली थी जानकारी
CBI ने अपनी शुरूआती जांच में पाया कि यूनिट में भर्ती के लिए तत्कालीन सेक्रेटरी विजिलेंस (Secretary Vigilance) सुकेश कुमार जैन ने 6 नवंबर 2015 को मनीष सिसोदिया को प्रपोजल दिया कि AR Department (पूरे खर्चे का ब्योरा) से मंजूरी ले ली जाएगी, जिसको लेकर मनीष सिसोदिया ने सहमति दी, लेकिन सुकेश कुमार जैन ने इसकी जानकारी AR Department को दी ही नहीं।
Vigilance विभाग के अधिकारी ने जांच के दौरान बताया कि भर्तियों के लिए आवेदन जारी करने के बाद इसी जानकारी AR Department को दी गई, लेकिन कहा गया कि ये भर्तियां उधोग विभाग में खत्म की जा रही पोस्ट की जगह होगी, लेकिन 25 जनवरी 2016 में तय किया गया कि ये भर्तियां ACB में की जाने वाली 88 भर्तियों में से की जाएगी, जबकि इन भर्तियों की मंजूरी या AR Department से कोई जानकारी या मंजूरी नहीं ली गई है।
इस बात की जानकारी मनीष सिसोदिया को भी थी कि इन भर्तियों के लिए या यूनिट के गठन के लिए उप राज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गई है।
गलत तरीकों से खर्चों को लेकर उठे थे सवाल
शुरूआती जांच में ये भी पता चला कि इस यूनिट के लिए 17 लोगों को भर्ती किया गया और 1 करोड़ का बजट रखा गया था और साल 2016-17 में दो बार में 5-5 लाख कर के 10 लाख रुपये 7 जून 2016 और 13 जून 2016 में यूनिट को दिए गए।
शुरूआत में 20 मई 2016 को आदेश जारी कर ACB के शम्स अफरोज़ को इस यूनिट के Admin और Finance के डिप्टी डायरेक्टर (Deputy Director) की जिम्मेदारी दी गई, जो उन्हें अपने Anti-Corruption Bureau में ACP के पद के साथ पूरी करनी थी, लेकिन कुछ ही दिनों बाद 31 मई 2016 को नया आदेश जारी किया गया कि मुख्यमंत्री के तत्कालीन एडवाइजर आर के सिन्हा इस यूनिट के मुखिया के तौर पर जिम्मेदारी संभालेगे।
इसके बाद जब शम्स अफरोज ने यूनिट में गलत तरीकों से खर्चों को लेकर बात की तो आर के सिन्हा ने चिट्ठी लिख कर कहा कि शम्स अफरोज का इस यूनिट से कोई मतलब नहीं है और उन्हे SS Funds की जानकारी ना दी जाए।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया ट्वीट
CBI द्वारा फीडबैक (Feedback) यूनिट मामले में मनीष सिसोदिया के खिलाफ ‘FIR’ दर्ज करने के मामले पर Arvind Kejriwal ने ट्वीट किया है।
Arvind Kejriwal ने ट्वीट में लिखा है, ‘प्रधानमंत्री द्वारा मनीष सिसोदिया के खिलाफ कई झूठे मामले थोपकर, उन्हें लंबे समय तक जेल में रखने की योजना’।।
‘ये देश के लिए दुखद’। इससे पहले भलस्वा लैंडफिल साइट (Bhalswa Landfill Site) पर निरीक्षण कर रहे अरविंद केजरीवाल से जब मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक और FIR पर पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हम अभी कूड़े पर बात कर रहे हैं, लेकिन वो भी कूड़ा ही है।’
इन लोगों के खिलाफ भी दर्ज है केस
एजेंसी ने सिसोदिया, 1992 बैच के IRS (भारतीय राजस्व सेवा) अधिकारी सुकेश कुमार जैन (जो उस समय सतर्कता सचिव थे), सेवानिवृत्त केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के उप महानिरीक्षक (DIG) राकेश कुमार सिन्हा के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
सिन्हा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विशेष सलाहकार और FBU में संयुक्त निदेशक के रूप में काम कर रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि इनके अलावा खुफिया ब्यूरो के पूर्व संयुक्त उप निदेशक प्रदीप कुमार पुंज (जो फीडबैक इकाई के उप निदेशक के रूप में कार्यरत थे) CISF के सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट सतीश खेत्रपाल (जो फीडबैक अधिकारी के रूप में कार्यरत थे) और गोपाल मोहन (केजरीवाल के भ्रष्टाचार रोधी सलाहकार) के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।