खूंटी: उदयाचल भगवान भास्कर को प्रातःकालीन अर्घ्य और पूजन-हवन के साथ लोक आस्था का चार दिवसीय पावन महापर्व छठ संपन्न हो गया। पूजन-हवन और मंदिरों में पूजा-अर्चना के बाद व्रतियों ने पारण किया।
शनिवार को सुबह चार बजे से ही लोगों की भीड़ पर उदयाचल सूर्य को अघ्र्य देने के लिए विभिन्न छठ घटों उमड़ने लगी थी। कोरोना संक्रमण को लेकर जारी दिशा निर्देश और मौसम के बावजूद छठ घाटों पर भीड़ उमड़ पड़ी।
वैसे तो तड़के तीन बजे से ही पूरा वातावरण धार्मिक गीत-संगीत से गुंजने लगा। साढ़े चार बजे तक सभी छठ घाट व्रतियों और श्रद्धालुओं से भर चुका था। कई घंटों तक व्रतियों और श्रद्धालुओं में विभिन्न सरोवरों और नदियों के जल खड़ा रह कर भगवान सूर्य की आराधना की।
पूरा वातवरण छठ मैया के गीतों से गुंजायमान हो रहा था। जैसे ही भगवान सूर्य की लालिमा आसमान में नजर आयी, पूरा वातावरण ऐही सूर्याे सहस्त्रांषो तेजो…. जैसे वैदिक मंत्रों से गूंज उठा। भगवान सूर्य को अघ्र्य प्रदान करने के लिए लोगों में मानों होड़ लग गयी थी।
व्रतियों ने पूजा के सूप-दउरा में भगवान भास्कर को दूध और जल का अघ्र्य प्रदान कर अपने और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। जिला मुख्यालय में राजा तालाब, साहू तालाब, चैधरी तालाब, तजना नदी, बनई नदी, तोरपा की कारो और छाता नदी घाट के अलावा अन्य सरोवरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
विभिन्न स्वयंसेवी और धार्मिक संस्थाओं द्वारा व्रतियों के बीच फल और दूध का वितरण किया गया। जिला मुख्यालय के अलावा तोरपा, कर्रा, रनिया, मुरहू, अड़की के प्रखंड मुख्यालय और अन्य कस्बाई इलाकों में भी सूर्योपासना का महापर्व पूरी श्रद्धा-भक्ति और पवित्रता से मनाया गया।
कोरोना महामारी को लेकर सरकार के दिशा निर्देशों के कारण बहुत से लोगों ने इस घर में कुड बनाकर उदीयमान भगवान भास्कर को अघ्र्य प्रदान किया। सुरक्षा को लेकर छठ घाटों पर प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे।