रांची: दुर्गा पूजा के महानवमी के अवसर पर झारखंड सशस्त्र बल (JAP-1) के जवानों की पूजा अपने आप में अनोखी होती है। गुरुवार को जैप -वन के कमांडेंट अनीश गुप्ता ने कन्याओं का पूजन कर उन्हें अपनी तरफ से उपहार दिया।
इसके बाद शस्त्रों को एक जगह रख कर पूजा गया। शस्त्रों में ,खुकुरी,एके 47 सहित अन्य हथियार की पूजा की गई। ये पूजा भी कमांडेंट ने की ।
शस्त्र पूजा के बाद बली पूजा और कन्या पूजन भी की गई। गोरखा समाज में ये मान्यता है कि माता को प्रसन्न करने के लिए खस्सी की बलि दी जाती है।
गोरखा समाज शस्त्र पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। जवान शास्त्रों की पूजा कर मां से अपार शक्ति की कामना करते है।
मां दुर्गा के उपासक गोरखा समाज दुश्मनों से लोहा लेते समय उनके हथियार कभी धोखा नहीं दें, इसलिए वे मां शक्ति की विशेष पूजा करते हैं।
इस दौरान मां को खुश करने के लिए फायरिंग के साथ-साथ मां के चरणों में बली अर्पण करते हैं। महानवमी के दिन गोरखा जवान में हथियारों की पूजा की परंपरा बटालियन गठन के समय से ही चली आ रही है।
इनका मानना है की दुश्मनों से सामना हो, तो हथियार धोखा नहीं दें। प्रत्येक वर्ष नवरात्रि के नवमी के दिन हथियारों की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से करते हैं।
इसके साथ ही जैप जवानो की ओर से मां के चरणों मे 101 बलि दी जाती है। हर बलि के बाद मां को फायरिंग कर सलामी भी दी जाती है।
गोरखा जवान बताते हैं कि 1880 से ही गोरखा जवान अपने हथियारों की पूजा करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गोरखा या नेपाली संस्कृति में शक्ति की उपासना किया जाता है।
इस स्थिति में बलि की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है और अब ये संस्कृति गोरखा जवानों का हिस्सा बन गयी है। उन्होंने कहा कि मन में विश्वास है कि शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से दुश्मनों से लड़ने समय हिम्मत मिलता है।
नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना के बाद से ही JAP-1 के जवान मां की भक्ति में लीन हो जाते हैं। मौके पर कमांडेंट अनीश गुप्ता ने बताया कि प्राचीन काल से ही गोरखा समाज में शक्ति पूजा की परंपरा चली आ रही है, जिसका निर्वहन आज भी किया जा रहा है।