रांची: Chief Minister Hemant Soren के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले (Office Of Profit Matters) को राज्यपाल रमेश बैस ने एक बार फिर तूल दे दिया है।
छत्तीसगढ़ में एक निजी मीडिया चैनल को दिए Interview (इंटरव्यू) में उन्होंने कहा- इस मामले में निवांचन आयोग से दोबारा गंतव्य मांगा है। आयोग के मंतव्य को मानने को वे विवश नहीं हैं।
जब तक पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो जाते, कोई भी फैसला सुनाने को बाध्य नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में पटाखा बैन है, लेकिन झारखंड में नहीं झारखंड में एक-आप एटम बम (Atom Bomb) फट सकता है।
इससे पहले राज्यपाल ने कहा था कि आयोग का लिफाफा इतनी मजबूती से चिपका है कि वह खुल ही नहीं रहा। गौरतलब है कि भाजपा ने राज्यपाल से हेमंत सोरेन के पत्थर खनन लीज की शिकायत की थी।
भाजपा ने इसे जनप्रतिनिधित्व कानून (Representation of the People Act) का उल्लंघन बताते हुए उनकी विधानसभा की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी। राज्यपाल ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा।
ने अगस्त में ही अपना मंतव्य राजभवन भेज दिया। लेकिन, अब तक फैसला नहीं आया है। इससे असमंजस की स्थिति है। इस मुद्दे को लेकर UPA and JMM का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला था।
हेमंत सोरेन ने भी राज्यपाल से मुलाकात की थी और जल्द फैसला सुनाने का आग्रह किया था। बाद में सीएम ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि अगर वे दोषी हैं, तो सजा दी जाए। पर बगैर सजा सुनाए ही उन्हें सजा दी जा रही है।
गवर्नर बाध्य नहीं है कि कब आर्डर जारी करे
दीपावली (Diwali) पर अपने घर गए गवर्नर ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि पद संभालने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से संबंधित शिकायत मिली थी जो चुनाव से संबंधित थी।
इसलिए हमने चुनाव आयोग (Election Commission) को पत्र भेज मंतव्य मांगा। मंतव्य मिलने के बाद गवर्नर बाध्य नहीं है कि कब आर्डर जारी करे। उनके पास आयोग का पत्र आते ही सियासी हलचल चालू हो गई।
घबराने की कोई बात नहीं है। जो होना है, वह होगा। मीडिया में कई अटकलें लगाई गईं। मेरे पास JMM का प्रतिनिधिमंडल आया।
उसने आयोग के पत्र की कॉपी मांगी। आदेश की प्रतिलिपि देने का प्रावधान नहीं है। इस संबंध में अपील को आयोग ने भी अस्वीकार कर दिया।