जिनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कहा गया है कि भारत में पाया गया कोरोना का बी1617 वेरिएंट गंभीर चिंता का विषय है।
हमें इस वेरिएंट के वायरस की सभी उप-वंशावली के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है ताकि वैश्विक स्तर पर इसे एक चिंता का विषय के रूप में वर्गीकृत किया जा सके।
डब्ल्यूएचओ की तकनीकी टीम की अध्यक्ष डॉ. मारिया वान केरखोव ने कहा है कि वायरस के इस स्वरूप को लेकर डब्ल्यूएचओ के विभिन्न दलों के बीच भी चर्चा हो रही है।
बी1617 वायरस वेरिएंट को पहली बार भारत में पहचाना गया है जिसे था, डब्ल्यूएचओ ने एक अलग प्रकार के रूप में वर्गीकृत किया है।
हमें इस वेरिएंट के वायरस की सभी उप-वंशावली के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हमारी एपीआई टीमें और हमारी लैब टीमें आंतरिक रूप से बी1617 की बढ़ी हुई संप्रेषणता के बारे में जानकारी इकठ्ठा कर रही हैं ताकि हम इसे वैश्विक स्तर पर एक चिंता का विषय के रूप में वर्गीकृत कर सकें।
साथ ही इस बात पर भी नजर है कि भारत एवं अन्य देशों में इस वायरस के प्रसार के बारे में क्या-क्या अध्ययन हो रहे हैं।
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था कि भारत में फैल रहा कोविड-19 का बी1617 वेरिएंट काफी संक्रामक है और यह वैक्सीन को भी बेअसर कर सकता है।
एक साक्षात्कार में सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था कि आज हम भारत में देख रहे हैं कि यह तेजी से फैलने वाला वेरिएंट है।
भारत में इस वेरिएंट को पिछले साल अक्टूबर में पहचाना गया था।
सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था कि बी1617 वेरिएंट म्यूटेट करता है जिससे इसका प्रसार तेजी से होता है। यह वायरस वैक्सीन से तैयार हुई एंटीबॉडीज को भी बेअसर कर सकता है।