रांची: भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने करमपदा खनन पट्टे क्षेत्र से लौह अयस्क स्टॉक उठाने के लिए झारखंड सरकार द्वारा मैसर्स शाह ब्रदर्स को अवैध तरीके से दिए गए अनुमति को वापस, रद्द करने को लेकर मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है।
पत्र में उन्होंने कहा है कि खान विभाग ने शाह आयोग के रिपोर्ट के आधार पर एमएमडीआर अधिनियम की धारा 21(5) के तहत पत्र संख्या 825/एम 30 मई 2014 को 1110 करोड़ का मांग नोटिस जारी किया गया था।
बाद में इस मांग पत्र को वर्ष 2015 में संशोधन किया गया और 1365 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया।
तत्कालीन जिला खनन अधिकारी ने बिना दिमाग लगाए और गलत इरादे के साथ् झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए अप्रैल 2017 में मेसर्स शाह ब्रदर्स के पट्टे की अवधि को विस्तारित कर दिया।
तत्कालीन डी.एम.ओ ने न केवल पट्टे की शर्त के उल्लंघन के साथ पट्टे का विस्तार किया वरन वन अधिनियम मंजूरी के बिना खनन संचालन की अनुमति दे दी।
उन्होंने एमएमडीआर अधिनियम की धारा 21(5) के तहत मांग राशि को 1365 करोड़ से घटाकर 252 करोड़ कर दिया है।
उन्होंने कहा है कि यह मामला मैसर्स शाह ब्रदर्स द्वारा करम्पदा माइंस में पड़े लौह अयस्क को उठाने के लिए उच्च न्यायालय में दायर रिट से संबंधित है।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश एक अक्टूबर 2020 द्वारा राज्य सरकार को इस मामले में एक उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया।
उपरोक्त आदेश के आलोक में सचिव खान ने दिनान्क 18 अक्तूबर को सुनवाई करते हुए 19 नवम्बर को एक आदेश परित किया जिसमे मेसर्स शाह ब्रदर्स को लौह् अयस्क बेचने की इजाजत दी गयी कहा गया कि लौह् अयस्क से प्राप्त धनराशि को जुर्माने की बकाया राशि के विरूद्ध सरकारी खाते में जमा कराया जायेगा।
19 नवम्बर 2020 के आदेश की प्रति अनुलग्नक -1 के रूप में संलग्न कि जा रही है। जिसमे निम्नलिखित विसंगतियां देखी जा सकती हैं।
सचिव खान द्वारा लौह अयस्क बेचने के आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाय। उक्त खनन क्षेत्र में पड़े लौह अयस्क राज्य सरकार की सम्पति है अतः उसे पारदर्शी तरीके से नीलामी करते हुए प्राप्त धन को राजस्व के रूप में जमा कराया जाय।
सर्वोच्च न्यायलय द्वारा समान मामले में पारित आदेशानुसार एक समिति का गठन कर लौह अयस्क के भण्डारण एवं गुणवत्ता की जांच कराई जानी चाहिए एवं उसके उचित मूल्य को सुनुश्चित किया जा सके।
मेसर्स शाह ब्रदर्स द्वारा लौह अयस्क को गिरवी रख यस बैंक से 40 करोड़ के लोन लेने पर वैधानिक कार्यवाई की जाय। मेसर्स शाह ब्रदर्स के द्वारा देय बकाया जुर्माने की राशि 200 करोड़ रूपये की तत्काल वसूली की जाय।
इस पुरे प्रकरण में अधिकारियों द्वारा गलत इरादे से बरती गयी लापरवाही के आलोक में उन पर अविलम्ब सख्त कार्रवाई की जाय।