नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के खिलाफ एफआईआर को ट्रांसफर करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने इन नेताओं की गिरफ्तारी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि 64 मामले कितने दिन में दर्ज किए गए।
तब भाजपा नेता अर्जुन सिंह के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस छोड़ने के बाद 2019 से अब तक मेरे खिलाफ ये मामले दर्ज किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि मैं सांसद हूं और मेरे खिलाफ दंगा भड़काने के मुकदमे दर्ज कराए गए, जो राजनीति से प्रेरित हैं।
उसके बाद कोर्ट ने भाजपा नेताओं की सभी याचिकाओं पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया और इन नेताओं की गिरफ्तारी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी।
पश्चिम बंगाल के जिन भाजपा नेताओं ने याचिका दायर की है उनमें अर्जुन सिंह, पवन सिंह, सौरभ सिंह, मुकुल राय और कबीर शंकर बोस शामिल हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अवंतिका मनोहर ने कहा कि अर्जुन सिंह के तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफे के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल की पुलिस ने बिना कोई जांच किए उनके खिलाफ 64 केस दर्ज किए।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने अर्जुन सिंह पर देसी बम से हमला किया जिसमें उनका बेटा घायल हो गया। इस घटना के बारे में पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया।
उसके बाद उन्होंने ट्रायल कोर्ट का रुख किया।
याचिका में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की पुलिस राज्य सरकार के इशारे पर भाजपा नेताओं को परेशान कर रही है।
भाजपा नेता कबीर शंकर बोस ने कहा है कि उन्हें कोरोना आइसोलेशन वार्ड में दूसरे कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ चार घंटे तक जानबूझकर रखा गया।
ऐसा कर पश्चिम बंगाल की पुलिस ने संविधान की धारा 21 का उल्लंघन किया है।
उन्हें राजनीतिक द्वेष की वजह से प्रताड़ित किया जा रहा है।
बोस की शादी तृणमूल नेता कल्याण बनर्जी की बेटी से हुई है। जब उन्होंने तलाक की अर्जी दाखिल की तो कल्याण बनर्जी के कहने पर उनके खिलाफ कई केस दर्ज किए गए।
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए ऐसा कर रही है ताकि आगामी चुनाव में गड़बड़ी की जा सके।