SC Decision: देशभर के बैंककर्मियों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने ने कहा कि बैंकों द्वारा अपने कर्मचारियों को प्रदान किए गए ब्याज मुक्त या रियायती लोन को “अनुषंगी लाभ” या “सुविधाएं” माना जाएगा और यह Tax के अधीन है।
सीधे शब्दों में कहें तो Supreme Court ने अपने फैसले में कहा कि बैंक कर्मचारियों को उनके बैंकों की ओर से रियायती दर पर या बिना ब्याज के लोन की जो सुविधा मिलती है, उस पर Tax की देनदारी बनती है।
यानी अब इस तरह के लोन पर बैंक कर्मचारियों को टैक्स का भुगतान करना होगा।
इस संबंध में सर्वोच्च अदालत ने Income Tax के नियमों को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक कर्मचारियों को बैंकों की ओर से इंटरेस्ट फ्री लोन की सुविधा खास तौर पर दी जाती है, जिसमें उन्हें या तो कम ब्याज पर या बिना ब्याज के लोन मिल जाता है।
यह बहुत अच्छी सुविधा है, जो सिर्फ बैंक कर्मचारियों को ही मिलती है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इसे Fringe Benefit या अमेनिटीज करार दिया और कहा कि इस कारण ऐसे लोन टैक्सेबल हो जाते हैं।
क्या है मामला
दरअसल बैंक कर्मचारियों के संगठनों ने आयकर विभाग के एक नियम को Supreme Court में चुनौती दी थी, जिसमें बैंक कर्मचारियों को खास तौर पर मिलने वाली लोन की सुविधा को टैक्सेबल बनाया गया है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 17(2)(viii) और इनकम टैक्स रूल्स 1962 के नियम 3(7)(i) के तहत अनुलाभ को परिभाषित किया गया है।
Supreme Court ने क्या कहा
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता ने अपने फैसले में कहा कि ‘अनुलाभ’ कर्मचारी की स्थिति से जुड़ा एक अतिरिक्त लाभ है, जो ‘वेतन के बदले लाभ’ के विपरीत है। बेंच ने कहा, “यह रोजगार से जुड़ा है और वेतन से अधिक या अतिरिक्त है। ”
ऐसे में यह सुविधा बैंक कर्मचारियों (Bank Employees) को सैलरी के अलावा मिलने वाली सुविधाओं में शामिल हो जाती है इसलिए इन्हें अनुलाभ माना जा सकता है। ऐसे में Income Tax के संबंधित नियमों के हिसाब से यह सुविधा टैक्सेबल हो जाती है।