वाशिंगटन: व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का प्रशासन तालिबान के साथ देश के समझौते की समीक्षा करेगा, जिस पर फरवरी 2020 में हस्ताक्षर किए गए थे।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने अपने अफगान समकक्ष हमदुल्ला मोहिब को एक फोन कॉल के दौरान इस फैसले से अवगत कराया है।
सुलिवन से यह भी स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका फरवरी 2020 में हुए अमेरिका-तालिबान समझौते की समीक्षा करेगा, जिसमें यह आकलन भी शामिल है कि अफगानिस्तान में हिंसा को कम करने और अफगान सरकार तथा अन्य हितधारकों के साथ सार्थक वार्ता में शामिल होने, आतंकवादी समूहों के साथ संबंधों में कटौती करने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं पर तालिबान कायम है या नहीं।
यह समीक्षा इसलिए की जाएगी, ताकि आकलन किया जा सके कि आतंकी संगठन अफगान शांति समझौते के अनुरूप हिंसा में कमी कर रहा है या नहीं।
सुलिवन ने कहा, अफगानिस्तान में हिंसा को कम करने के लिए और अफगान सरकार और अन्य हितधारकों के साथ सार्थक वार्ता में संलग्न होने के लिए तालिबान अपनी प्रतिबद्धताओं पर खरा उतर रहा है या नहीं, अमेरिका इसका आकलन करेगा।
बयान में कहा गया है, सुलिवन अफगानिस्तान, नाटो सहयोगियों और क्षेत्रीय साझेदारों के साथ मिलकर एक स्थिर, संप्रभु और अफगानिस्तान के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक सामूहिक रणनीति का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अमेरिका और तालिबान ने 29 फरवरी, 2020 को ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
समझौते के अनुसार, मई 2021 तक युद्धग्रस्त देश से अमेरिकी सैन्य बलों को पूरी तरह से वापस लेने की बात कही गई थी, साथ ही शर्त रखी गई थी कि आतंकवादी समूह समझौते की कुछ शर्तों को पूरा करेगा, जिसमें आतंकवादी गतिविधियों पर विराम लगाने के साथ ही आतंकवादी संगठनों और आतंकी गतिविधियों में लिप्त अन्य लोगों के साथ संबंध विच्छेद करना भी शामिल है।
अमेरिका के विदेश मंत्री के लिए नामित एंटनी ब्लिंकेन ने मंगलवार को कहा था कि अल कायदा अभी भी तालिबान के साथ संबंध बनाए हुए है।
अफगानिस्तान में आंतरिक युद्ध, जिसमें लगभग 2,400 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो चुकी है, अमेरिकी इतिहास में सबसे लंबे समय तक चला है।
पेंटागन ने पिछले हफ्ते पुष्टि की कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना में कटौती के बाद वहां इनकी संख्या 2,500 रह गई है।