नई दिल्ली: साल 2020 में महामारी के प्रकोप के चलते लोग अपने-अपने घरों में कैद रहे, ऐसे में मनोरंजन के एक बेहतर साधन के रूप में इंटरनेट उनका साथी बना रहा और साइबर क्रिमिनल्स ने इसी अवसर का लाभ उठाते हुए अधिक से अधिक मुनाफा कमाने का सोचा। इसके परिणामस्वरूप रैंसमवेयर अटैक, डेटा ब्रीच और यहां तक कि राष्ट्र-राज्य द्वारा प्रायोजित हमले भी हुए।
साल के संभवत: सबसे बड़े साइबर हमले का खुलासा दिसंबर के महीने में ही हुआ, जब साइबर सिक्योरिटी कंपनी फायरईये ने खुलासा किया कि उन्हें हैकर्स द्वारा निशाना बनाया गया है, जिन्होंने उन उपकरणों का इस्तेमाल किया है, जिनका इस्तेमाल कंपनी अपने ग्राहकों की सुरक्षा का परीक्षण करने के लिए करती है।
यह साइबर अटैक कितने बड़े पैमाने पर हुआ है, इसकी जांच जहां अब भी जारी है। वहीं इस बीच यह भी बात सामने आई है कि यह कोई मामूली साइबर अटैक नहीं है, जिससे केवल कोई एक संगठन प्रभावित हुआ है।
द वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संदिग्ध रूसी हैकरों ने आईटी मैनेजमेंट कंपनी सोलर विंड्स द्वारा बेचे गए ओरियन सापॅफ्टवेयर में एक मैलवेयर इंस्टॉल किया है और इसके माध्यम से ये अमेरिका की कुछ सरकारी एजेंसियों की बेहद संवेदनशील जानकारियों तक अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं। इनमें कम से कम एक अस्पताल और एक विश्वविद्यालय तो निश्चित तौर पर शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया कि इंटेल, सिस्को, वीएमवेयर और एनवीडिया जैसी कम से कम 24 बड़ी कंपनियों द्वारा ऐसे सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किए गए है, जो दुर्भावनापूर्ण कोड से लैस हैं।
फायरईये कंपनी के सीईओ केविन मैंडिया ने अपने एक बयान में कहा, यह उन दसियों हजारों घटनाओं से अलग है, जिनका सामना हमने पिछले कुछ वर्षो में किया है।
माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ ने कहा कि यह हालिया साइबर हमला प्रभावी रूप से अमेरिका और उसकी सरकार और सुरक्षा फर्मों सहित अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों पर हमला है।
इस साल की शुरुआत में मैरिएट इंटरनेशनल से भी कुछ बेहद चौंकानेवाली खबरें सामने आई, जब इस होटल श्रृंखला ने ऐलान किया कि उनकी फ्रेंचाइजी की किसी एक प्रॉपर्टी में दो कर्मचारियों के लॉगिन क्रेडेंशियल्स का उपयोग करके होटल के करीब-करीब 52 लाख मेहमानों की निजी जानकारियों पर नजर रखा जा रहा है।
साल के बीचोबीच हुई ट्विटर क्रिप्टोकरेंसी हैक की घटना को भी इस संदर्भ में नहीं भुलाया जा सकता है। इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने खुलासा किया था कि यह एक समन्वित सामाजिक इंजीनियरिंग अटैक है, जिसमें लोगों द्वारा कंपनी के कर्मचारियों की आतंरिक प्रणालियों को लक्षित किया गया है।
इनके साथ ही इस साल ब्रिटिश एयरलाइन कंपनी ईजीजेट ने भी यह खुलासा किया था कि उनकी कंपनी भी एक बेहद परिष्कृत साइबर हमले का शिकार हुई है, जिसके तहत उनके करीबन नब्बे लाख ग्राहक प्रभावित हुए हैं।
अगस्त और सितंबर के महीने में न्यूजीलैंड स्टॉक एक्सचेंज को भी कुछ साइबर अटैक्स का सामना करना पड़ा था, जिसके तहत ट्रेडिंग कई बार कुछ घंटों के लिए रुकी रही।
अब अगर बात कोविड-19 के वैक्सीन के ऊपर रिसर्च और इसके वितरण की करें, तो इसने भी साइबर क्रिमिनल्स के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित किया है।
माइक्रोसॉफ्ट ने नवंबर में खुलासा किया था कि उसने राष्ट्र-राज्य स्तर पर ऐसे साइबर हैकर्स की पहचान की है, जो उन ऐसे सात प्रमुख कंपनियों को अपना निशाना बनाना चाह रहे थे, जो कोविड-19 के वैक्सीन को लेकर रिसर्च और उपचार में सीधे तौर पर संबंधित है। इसमें भारत भी शामिल रहा है।
इसके अलावा, भारत में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी एक बड़े साइबर हमले की उस वक्त पुष्टि हुई, जब डॉ.लैबरेटरीज ने इस साल एक रैंसमवेयर का खुलासा किया।