झारखंड

मॉब लिंचिंग पर सजा वाले प्रावधान में ‘बड़ी गलती’, HC ने दिया यह निर्देश…

झारखंड हाईकोर्ट ने यूनिवर्सल लेक्सिसनेक्सिस द्वारा प्रकाशित भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 में एक 'बड़ी गलती' पकड़ी है। इस मामले में हाई कोर्ट ने

New Criminal Law-BNS : झारखंड हाईकोर्ट (HC) ने यूनिवर्सल लेक्सिसनेक्सिस द्वारा प्रकाशित भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 में एक ‘बड़ी गलती’ पकड़ी है। इस मामले में हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने BNS-2023 की धारा 103(2) में ‘किसी अन्य समान आधार’ की जगह ‘किसी अन्य आधार’ लिखा हुआ पाया है।

मॉब लिंचिंग पर सजा वाले प्रावधान में हुई है गलती

दरअसल, BNS 2023 की धारा 103(2) पांच या उससे ज्यादा व्यक्तियों वाले किसी समूह द्वारा हत्या (भीड़ हत्या या मॉब लिंचिंग) किये जाने पर सजा का प्रावधान करती है। इसमें कहा गया है कि जब पांच या अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या ‘किसी अन्य समान आधार’ पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडित किया जायेगा और साथ ही जुर्माना भी लगाया जायेगा।

यूनिवर्सल लेक्सिसनेक्सिस द्वारा प्रकाशित भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 के बेयर एक्ट (Bare Act) में इस प्रावधान में ‘किसी अन्य समान आधार’ की जगह ‘किसी अन्य आधार’ लिखा हुआ मिला है। इसी गलती पर झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है।

कानून की व्याख्या पर असर

कोर्ट के अनुसार, इस चूक का कानून की व्याख्या और प्रयोग पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। जस्टिस आनंद सेन और सुभाष चंद की पीठ ने इस प्रकार की खामियों के प्रभाव पर जोर देते हुए कहा कि तीन नये आपराधिक कानूनों के लागू होने के कारण कई प्रकाशक बेयर एक्ट (Bare Act) और क्रिमिनल मैनुअल प्रकाशित कर रहे हैं। प्रकाशकों ने इन बेयर एक्ट (Bare Act) को बड़ी संख्या में प्रकाशित किया है, जिन्हें वकील, न्यायालय, पुस्तकालय, कानून प्रवर्तन एजेंसियां और अन्य संस्थान खरीद रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इन कानूनों के किसी भी प्रकाशन में किसी भी तरह की गलती नहीं होनी चाहिए।

छोटी गलती का बड़ा असर

कोर्ट ने कहा कि किसी भी स्थान पर कोई भी छोटी सी गलती कानून की व्याख्या और उनके प्रयोग पर बड़ा असर डाल सकती है। एक छोटी सी टाइपोग्राफिकल गलती या चूक सभी संबंधितों के लिए अन्याय और शर्मिंदगी का कारण बन सकती है, वकीलों और कोर्ट के लिए भी।

सिर्फ एक शब्द के हट जाने से इस प्रावधान की पूरी व्याख्या बदल गयी है

यूनिवर्सल लेक्सिसनेक्सिस द्वारा प्रकाशित BNS 2023 की जांच करते समय, कोर्ट ने पाया कि धारा 103(2) में ‘समान’ शब्द की अनुपस्थिति ने इस प्रावधान की पूरी व्याख्या बदल दी है। कोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023, भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 के महत्व पर प्रकाश डाला, जिन्होंने पुराने कानूनों की जगह ली है और एक जुलाई 2024 से पूरे देश में लागू हो गये हैं।

सटीकता की आवश्यकता

कोर्ट ने कहा कि आज का दिन भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए बहुत अहम है और इन कानूनों के प्रकाशन में सटीकता की जरूरत पर जोर दिया। न्यायालय ने आदेश दिया है कि यूनिवर्सल लेक्सिसनेक्सिस द्वारा प्रकाशित भारतीय न्याय संहिता (BNS) से संबंधित बेयर एक्ट (Bare Act) और क्रिमिनल मैनुअल की किताबें, जो अभी तक बिकी नहीं हैं, उन्हें सुधार के बाद ही बेचा जाये।

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