Pahalgam terror attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को बड़ी सफलता मिली है। जांच से पता चला है कि कश्मीर घाटी के 15 स्थानीय लोगों ने हमलावरों को लॉजिस्टिक सपोर्ट और हथियार उपलब्ध कराए।
इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के जरिए सामने आया कि ये मददगार ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) के रूप में पहले से सक्रिय थे और इन्होंने पाकिस्तान से आए हथियारों की खेप को हमलावरों तक पहुंचाया।
इस खुलासे के बाद NIA, जम्मू-कश्मीर पुलिस, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) की संयुक्त टीम ने पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए अभियान तेज कर दिया है।
200 से ज्यादा पूछताछ के लिए हिरासत में
जांच एजेंसियां पांच मुख्य संदिग्धों पर विशेष ध्यान दे रही हैं, जिनमें से तीन को गिरफ्तार कर लिया गया है। बाकी दो OGWs (Over Ground Workers) की तलाश जारी है। ये पांचों संदिग्ध हमले के दिन पहलगाम के बायसरन घाटी के आसपास मौजूद थे, और उनके मोबाइल फोन उस क्षेत्र में सक्रिय पाए गए।
इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के दौरान एक चैट भी बरामद हुई, जिसमें गिरफ्तार तीन संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकवादियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देने की बातचीत कर रहे थे। जांचकर्ताओं को शक है कि इन पांचों की हमले में सीधी भूमिका थी, और इसके पुख्ता सबूत भी मिले हैं।
सूत्रों के अनुसार, 200 से ज्यादा OGWs को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। इनसे हमले की साजिश, रेकी, और हथियारों की आपूर्ति से जुड़ी जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही है। जांच में यह भी पता लगाने का प्रयास हो रहा है कि हमले की योजना कैसे और किनके जरिए रची गई।
LoC के रास्ते PoK से कश्मीर घाटी में लाए गए हथियार
शुरुआती जांच में सामने आया कि हमलावरों के पास मिले हथियार, जिनमें AK-47 राइफलें और ग्रेनेड शामिल थे, पाकिस्तान से भेजे गए थे। खुफिया एजेंसियों ने पुष्टि की कि ये हथियार नियंत्रण रेखा (LoC) के रास्ते PoK से कश्मीर घाटी में लाए गए। 15 स्थानीय मददगारों, जो पहले से OGWs के रूप में दर्ज हैं, ने इन हथियारों को आतंकियों तक पहुंचाने, जंगलों में रास्ता दिखाने, और रसद उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार, ये मददगार पिछले कई वर्षों से दक्षिण कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। एक सूत्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इन स्थानीय OGWs ने हमलावरों को बायसरन घाटी की रेकी करने, आतंकियों को छिपाने, और हमले की योजना को अंजाम देने में मदद की।
जांचकर्ताओं के पास इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जिनमें कॉल रिकॉर्ड्स, चैट्स, और लोकेशन डेटा शामिल हैं।
हमास-लश्कर कनेक्शन की जांच
सूत्रों ने दावा किया कि पहलगाम हमले में लश्कर-ए-तैयबा और हमास के बीच संबंध हो सकता है। 5 फरवरी 2025 को PoK में लश्कर और हमास की एक बैठक हुई थी, जिसमें हमास के खालिद कदुमी और नाजी जहीर सहित करीब 100 आतंकी मौजूद थे। इस बैठक में हमले की रणनीति, जिसमें पॉइंट-ब्लैंक रेंज से गोली मारना और धर्म पूछकर हत्या करना शामिल था, पर चर्चा हुई।
यह पैटर्न हमास के इजराइल में किए गए हमलों से मिलता-जुलता है। NIA इस कनेक्शन की गहराई से जांच कर रही है।
हमले की जिम्मेदारी पहले लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, लेकिन चार दिन बाद TRF ने इससे इनकार करते हुए दावा किया कि उनका डिजिटल प्लेटफॉर्म हैक किया गया और भारतीय खुफिया एजेंसियों ने साजिश रची।
TRF ने भारत पर “झूठे झंडे फहराने” का आरोप लगाया। हालांकि, खुफिया एजेंसियों ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि TRF भारत के कड़े जवाबी कदमों से डर गया है।