पटना: पूर्वी चंपारण जाली नोट मामले (Fake Note Cases) के एक मुख्य आरोपी को बिहार की विशेष NIA अदालत ने 5 साल के कठोर कारावास (Rigorous Imprisonment) की सजा सुनाई है।
पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के मोहनपुर गांव निवासी रईसुद्दीन पर 5 हजार रुपए का जुर्माना (Rs 5,000 fine) भी लगाया गया।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) के एक प्रवक्ता ने कहा कि अदालत ने 18 अगस्त को 2015 के (पूर्वी चंपारण जाली मुद्रा) मामले में उसे दोषी करार दिया था और उसे सजा सुनाई गई।
अधिकारी ने कहा कि उसे भारतीय दंड संहिता और गैर-कानूनी गतिविधियां (Indian Penal Code and Unlawful Activities) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत 5 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई जबकि 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
23 दिसंबर, 2015 को इस मामले को दोबारा दर्ज किया
रईसुद्दीन पूर्वी चंपारण जाली भारतीय नोट (FICN) से संबंधित मामले में दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाए जाने वाला पांचवां अपराधी है।
राजस्व खुफिया निदेशालय पटना ने एक अन्य आरोपी अफरोज अंसारी के पास से 5.94 लाख रुपए के जाली नोट बरामद किए थे।
इसके बाद निदेशालय ने 19 सितंबर 2015 को इस संबंध में मामला दर्ज किया था। अंसारी फर्जी नोट की खेप लेकर नेपाल में डिलीवरी के लिए भारत-नेपाल सीमा के निकट रक्सौल (पूर्वी चंपारण) लेकर जा रहा था।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने बाद में मामले को अपने हाथ में ले लिया और 23 दिसंबर, 2015 को इस मामले को दोबारा दर्ज किया।
तीन आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई जारी
वहीं अधिकारी ने कहा कि NIA की गहन जांच से पिछले 8 वर्षों में आठ आरोपियों की गिरफ्तारी (Eight accused Arrested) हुई और आरोप पत्र दायर किया गया।
उन्होंने बताया कि इनमें से 4 आरोपियों- अफरोज अंसारी, सनी कुमार उर्फ सनी शॉ उर्फ सुजीत कुमार उर्फ कबीर खान, अशरफुल आलम उर्फ इशराफुल आलम और आलमगीर शेख उर्फ राजू को विशेष NIA अदालत ने 11 अक्टूबर, 2018 को दोषी ठहराया था।
अधिकारी ने बताया कि इन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और प्रत्येक पर 30,000 रुपए का जुर्माना (Fine) भी लगाया गया। उन्होंने बताया कि शेष तीन आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई जारी है।