Indefinite Penal Strike of Court Employees: बिहार में कोर्ट कर्मचारी (Court Staff) गुरुवार 16 जनवरी से अपनी मांगों के समर्थन में कलमबंदी कर दी है।
वेतन विसंगति, प्रमोशन में देरी, अनुकंपा नियुक्ति और कोर्ट मैनेजर के पद पर सीधी भर्ती जैसे मुद्दों को लेकर उनकी चार सूत्री मांगें हैं।
इस हड़ताल से राज्य के सभी अदालतों में कामकाज प्रभावित हो सकता है। यह फैसला 2 जनवरी को हुई बिहार राज्य न्यायालय कर्मचारी संघ की बैठक में लिया गया था।
कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग वेतन विसंगति की है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट (Supreme Court and High Court) के आदेशों के बावजूद उन्हें उचित वेतन नहीं दिया जा रहा है।
साथ ही, 1 अप्रैल 2003 से सभी प्रमोशन का लाभ और बकाया भुगतान किया जाए। वेतन बढ़ोतरी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 7 अक्टूबर 2009 और 16 मार्च 2015 को भी आदेश दिए थे, लेकिन उन पर आज तक अमल नहीं हुआ।
कर्मचारी संघ का कहना है कि सेवाकाल के दौरान मृत कर्मचारियों के आश्रितों को 16 जनवरी 2025 तक अनुकंपा नियुक्ति दी जानी चाहिए।
पटना सिविल कोर्ट में भी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए
इसके अलावा, कोर्ट मैनेजर के पद पर सीधी भर्ती का भी विरोध किया जा रहा है। कर्मचारियों का तर्क है कि यह पद प्रमोशन से भरा जाना चाहिए, जिसके लिए जुलाई 2017 से ही याचिका लंबित है।
पटना सिविल कोर्ट (Patna Civil Court) में भी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। ऐसे में कोर्ट में मुकदमों की पैरवी के लिए आए लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
पालीगंज कोर्ट में कर्मचारियों ने समान काम का समान दाम और अनुकंपा पर करो बहाली जैसे नारों के साथ अपनी आवाज बुलंद की है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अन्य विभागों में पदोन्नति हो रही है, लेकिन न्याय विभाग में इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। इस हड़ताल के कारण न्यायालयों में मुकदमों की सुनवाई ठप हो गई है, जिससे आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। संघ ने कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।