Bihar Education Minister Sunil Kumar pushed a woman from a moving car,: बिहार से एक चौंकाने वाला Video सामने आया है, जिसमें नीतीश सरकार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार का संवेदनहीन रवैया लोगों के सामने आया।
पटना की सड़कों पर एक महिला शिक्षक अभ्यर्थी उनकी गाड़ी के पीछे दौड़ती रही, लेकिन मंत्री ने उसकी एक न सुनी और कार में बैठकर वहां से निकल गए। यह घटना तब हुई जब बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के शिक्षक अभ्यर्थी सप्लीमेंट्री रिजल्ट की मांग को लेकर शिक्षा मंत्री से मिलने JDU प्रदेश कार्यालय पहुंचे थे।
नीतीश के निर्देश की अनदेखी, शिक्षक अभ्यर्थियों को हाथ लगी निराशा
पटना में JDU कार्यालय में मंगलवार से शुक्रवार तक जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित होता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्पष्ट निर्देश है कि सभी मंत्री इस दौरान प्रदेश भर से आए फरियादियों की समस्याएं सुनें और उनका समाधान करें। इसके बावजूद बुधवार को शिक्षक अभ्यर्थियों को निराशा हाथ लगी।
अभ्यर्थियों ने सप्लीमेंट्री रिजल्ट की मांग को लेकर मंत्री से बात करने की कोशिश की, लेकिन सुनील कुमार बिना उनकी बात सुने वहां से चले गए।
BPSC TET 3.0 अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन🔥
शिक्षा मंत्री सुनील कुमार से मिलने पहुँचे अभ्यर्थियों को मंत्री ने अनदेखा किया।
नाराज़ एक महिला अभ्यर्थी मंत्री की गाड़ी में लटक गई🚗💥
सरकार की बेरुख़ी के खिलाफ उम्मीदवारों में उबाल!#BPSC #TET #BiharNews #TeacherRecruitment pic.twitter.com/DWbFdM6CXb
— Kalyug Darpan (@kalyugdarpan) April 10, 2025
अभ्यर्थियों ने उनकी कार को घेरने की कोशिश की
जब मंत्री अपनी गाड़ी में बैठकर निकले, तो अभ्यर्थियों ने उनकी कार को घेरने की कोशिश की। इस दौरान एक महिला अभ्यर्थी, जो हाजीपुर से आई थी, ने हार नहीं मानी और गाड़ी के पीछे दौड़ पड़ी। वह मंत्री को रोकने और कागजात सौंपने की कोशिश करती रही, लेकिन गाड़ी रुकने की बजाय आगे बढ़ती गई। आखिरकार, गाड़ी से हाथ छूटने के कारण वह सड़क पर गिर पड़ी।
चौंकाने वाली बात यह है कि शिक्षा मंत्री ने पीछे मुड़कर देखना भी जरूरी नहीं समझा और वहां से निकल गए।
घटना नीतीश सरकार के सुशासन के दावों पर सवाल?
महिला अभ्यर्थी ने बताया कि मंत्री ने पहले मौखिक आश्वासन दिया था, लेकिन उनकी मांग है कि उन्हें लिखित में भरोसा दिया जाए। उसका कहना था, “मौखिक आश्वासन का कोई भरोसा नहीं है।” यह घटना नीतीश सरकार के सुशासन के दावों पर सवाल उठाती है और शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी के प्रति उदासीनता को उजागर करती है। अभ्यर्थियों का गुस्सा अब बढ़ता जा रहा है, और इस वाकये ने सरकार की कार्यशैली पर बहस छेड़ दी है।