बिहारशरीफ: बिहार का नांलदा भी अब साइबर क्राइम का अड्डा बन गया है। यहां से क्राइम ब्रांच ने कई गैंग पकड़े हैं।
वहीं नालंदा भी साइबर ठगों का नया हॉट स्पॉट बनता जा रहा है। जहां देशभर में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
पहले केवल जामताड़ा ऐसे साइबर फ्रॉड करने वालों का ठिकाना था,लेकिन धीरे-धीरे साइबर ठग अपने पैर पसार रहे हैं।
पिछले कुछ समय में बिहार का नालंदा साइबर ठगों का एक बड़ा अड्डा बन गया है.यहां से क्राइम ब्रांच ने कई गैंग पकड़े भी हैं।
इसके अलावा नालंदा भी साइबर ठगों का नया हॉट स्पॉट बनता जा रहा है.क्राइम ब्रांच के संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार ने शुक्रवार को बताया कि देशभर में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार ने बताया कि कोविड महामारी की पीक के दौरान राजधानी में लोगों से साइबर ठगी की काफी वारदातें हुई थीं।
कुछ लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर के नाम पर ठगा गया तो कुछ लोगों से रेमेडेसीवर दवा के नाम पर ठगी हुई।
ऐसे मामलों को लेकर जब क्राइम ब्रांच ने छानबीन की तो पता चला कि अधिकांश गैंग बिहार के नालंदा से ऑपरेट कर रहे हैं।
आलोक कुमार ने बताया कि ऐसे कई गैंग नालंदा से क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किए हैं। ऐसा ही एक गैंग छोटू चौधरी का था. उसके गैंग में 100 से ज्यादा सदस्य थे.
वह न केवल साइबर ठगी करता था बल्कि साइबर ठग तैयार करने के लिए कोचिंग सेंटर भी चलाता था।
इस गैंग में किसी को कॉल करने की जिम्मेदारी मिली थी तो किसी को बैंक खाता उपलब्ध करवाने की. कोई एटीएम से रुपये निकालता था तो कोई सोशल मीडिया पर ठगी के लिए अपने नंबर वायरल करता था।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक, साइबर फ्रॉड से बचने के लिए सबसे कारगर तरीका जागरूक रहना है।
लोग साइबर फ्रॉड को लेकर जितना जागरूक रहेंगे, वह ठगों का शिकार नहीं होंगे।उन्होंने बताया कि जब कभी लोग इंटरनेट की दुनिया में रहते हैं, उन्हें सावधान रहना चाहिए।
सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले नंबर या किसी योजना पर भरोसा नहीं करना चाहिए। यह साइबर ठग द्वारा आपको फंसाने के लिए फेंका गया जाल हो सकता है।