पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम में आम लोगों की शिकायत सुनीं।
जनता दरबार में शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक की बहाली की शिकायत लेकर पहुंचे एक फरियादी ने सीएम के सामने वो सब कुछ बोल दिया जो अधिकारी मुख्यमंत्री को लेकर बोलते हैं।
शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक की बहाली में हो रही देरी की शिकायत लेकर एक शख्स सीएम के सामने पहुंचा और उसने कहा कि “सार्वजनिक शिक्षा स्वास्थ्य अनुदेशक की बहाली मिडिल स्कूल में छठी क्लास से लेकर आठवीं क्लास में होने वाली है। लेकिन ये प्रक्रिया प्रबंध समिति से कंप्लीट होने के बावजूद भी आज तक पूरी नहीं हुई।
सीएम नीतीश के सामने बैठे फरियादी ने कहा कि ” विभाग के अधिकारी कहते हैं कि इसके जिम्मेदार आप (मुख्यमंत्री) हैं।
जब भी पूछते हैं तो कहता है कि मंत्रिपरिषद में होगा और फिर कहता है कि मुख्यमंत्री ही नहीं चाहता है तो हम क्या करें।
ऐसी बात प्राथमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी बोलते हैं। कहते हैं कि नीतीश कुमार ही नहीं चाहता तो हम क्या करें।”
युवक की शिकायत सुनकर सीएम नीतीश ने फौरन अधिकारी को फोन घुमाया और पूछा कि “मिडिल स्कूल में फिजिकल टीचर की बहाली का कोई निर्णय हुआ है क्या।
फरियादी कह रहा है कि शिक्षा विभाग में जाते हैं तो सब आपके (मुख्यमंत्री के) बारे में बोलता है। जब चाहेगा तब होगा।
मेरे सामने कोई प्रपोजल आया है क्या? इस लड़के को एक्सप्लेन कर के बताइये। पहले आपको डिसीजन लेना है। तब न मेरे पास लाइएगा।
नवादा जिले से आए विजय प्रताप सिंह और गोपाल कुमार ने अपनी फरियाद में सीएम से कहा कि ‘नौकरी 90 दिन के लिए लगी थी, लेकिन 66 दिन में हटा दिया गया, वह भी बिना पैसा दिए। जबकि करार 90 दिन का था’।
उन्होंने कहा- ‘सरकार यदि पैसा नहीं देना चाहती थी तो फिर उन्हें इस काम के लिए क्यों प्रेरित किया गया।
जबकि उस समय कोरोना अपने चरम पर था, अपने सगे संबंधी लोगों को छोड़कर भाग रहे थे तब उन्होंने लोगों की सेवा की’।
यह मामला कोरोना की दूसरे लहर में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मानव बल के रूप में हर जिला के सरकारी अस्पतालों में हेल्पर के तौर पर लोगों को 90 दिन के लिए रोजगार देने का।
इन हेल्पर में वार्ड व्बॉय, ड्रेसर, कंपाउंडर सहित कई अलग-अलग तरह के लोगों को काम पर रखा गया था।
उल्लेखनीय है कि अभी कुछ ही दिन पहले पटना में शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशकों ने सोमवार को नौकरी के लिए प्रदर्शन किया था जिन पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था।
स्वास्थ्य अनुदेशक और शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया में हो रही देरी को लेकर अभ्यर्थी शिक्षा मंत्री के आवास का घेराव करने जा रहे थे।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा 16 दिसम्बर 2019 को शारीरिक शिक्षकों और स्वास्थ्य अनुदेशकों की परीक्षा ली गई थी। 11 फरवरी 2020 को परीक्षाफल की घोषणा की गई।
14 जुलाई 2020 को 3,523 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था। आरोप है कि विभाग द्वारा बहाली की स्वीकृति भी मिल चुकी है।
इसके बाद भी सरकार ने अभी तक बहाली प्रक्रिया शुरू नहीं की है। सरकार के इस रवैए को लेकर अभ्यर्थियों के बीच खासी नाराजगी है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण, एससी-एसटी कल्याण, विज्ञान एवं प्रावैधिकी, आइटी, कला-संस्कृति एवं युवा, वित्त, श्रम संसाधन और सामान्य प्रशासन विभाग से जुड़ी शिकायतों को सुना। सीएम ने करीब 200 लोगों की शिकायत सुनीं।