छपरा: सारण में आई विनाशकारी बाढ़ से बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है।
बाढ़ ग्रस्त इलाकों का संपर्क पहले ही जिला मुख्यालय से कट चुका है। गरीबों के आशियाने डूब गए हैं और कुछ ध्वस्त हो चुके है। लिहाजा लोग पलायन कर गए है या फिर ऊंचे स्थान पर शरण लिये हुए है।
कभी मूसलाधार बारिश तो कभी चिल्चिलाती धूप प्रभावित इलाकों में नयी बीमारी को निमंत्रण दे रहा है।
प्रखण्ड के दियरा इलाके के तीनों पंचायत रायपुर बिंदगांवा , बड़हारा महाजी एवं कोटवापट्टी रामपुर मे स्थिति विकट हो गयी है सरकारी स्तर से जो नाव की व्यवस्था की गयी है वो नाकाफी है।
दियरा वासियों का कहना है कि दियरा इलाके मे कम से कम प्रत्येक वार्ड मे एक नाव की आवश्यकता है साथ ही घर मे पानी प्रवेश करने से लोग छत पर रह रहे है उन्हें पॉलिथिन की आवश्यकता है।
तटीय इलाकों भैरोपुर निजामत , चिरांद , डुमरी , मुसेपुर , मौजमपुर , कोठिया आदि पंचायतों मे भी स्थिति गंभीर हो गयी है। लोग पलायन को मजबूर होने लगे है।
मुख्यमंत्री के आगमन के बाद लोगों में आस जगी थी लेकिन उसपर सरकारी स्तर से कोई पहल नहीं की गयी है।
घरों मे पानी घुसने से कई लोग घर के छतों पर रह रहे है जिन्हें प्लास्टिक तिरपाल की आवश्यकता है।
नए इलाकों मे सदर प्रखण्ड के जलालपुर पंचायत के मानुपुर जहाँगीर , गरखा प्रखण्ड के मीरपुर जुअरा , कोठिया पंचायत मे भी पानी प्रवेश कर गया है। पानी के बहाव से सड़क संपर्क भंग हो गया है।
बाढ ने सरकारी तैयारी की पोल खोल दी है। सदर प्रखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एक दो जगह छोड़कर कहीं भी सामुदायिक किचेन अभी शुरू भी नहीं हुआ है।
सदर अंचलाधिकारी के अनुसार बड़हरा महाजी में एक जगह सामुदायिक किचेन चल रहा है। वहीं अन्य जगहों पर किचेन खोलने की तैयारी चल रही है।
कोट्वापट्टी रामपुर में भिखारी आश्रम व बिनटोलिया में सरकारी किचेन चल रहा है लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि इस पंचायत में कहीं नहीं चल रहा है।
रायपुर बिनगांवा में भी एक किचेन चलने की बात कही गई। वहीं तटवर्तीय इलाके में मुसेपुर को छोड़कर कहीं भी सामुदायिक किचेन नहीं चल रहा है।
परिवारों का कहना है कि कहीं राशन आया है तो गैस नहीं। गैस है तो चूल्हा नदारद। जहां सब कुछ है वहां रसोइया नदारद है।
विस्थापित परिवारों में चिरांद दलित व महादलित बस्ती के लोगों का कहना है कि लगभग चार सौ परिवार तपस्वी सिंह उच्च विद्यालय में पिछले छः दिन से शरण लिए हुए हैं लेकिन उन्हें देखने वाला कोई नहीं है।
घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश करने से चुल्हे- चौके सब डूब गए हैं। बच्चे बूढ़े सभी दाने दाने को मोहताज है। अंचलाधिकारी द्वारा शनिवार से किचेन खोलने की बात कही गई।