भागलपुर: सुनसान रहने वाला हवाई अड्डा में इन दिनों बाढ़ पीड़ितों के कारण चहल पहल बढ़ गई है। वहां करीब चार हजार बाढ़ पीड़ितों परिवार शरण लिए हुए हैं।
पॉलीथिन के टेंट में पीड़ित परिवार किसी तरह अपना जीवन का मुश्किल वक्त काट रहे हैं।
सुबह होते ही खाने की जद्दोजहद शुरु हो जाती है। फिलहाल गाय और भैंस का दूध इनके जीविका का मुख्य आधार बना हुआ है।
जिला प्रशासन के द्वारा यहां कई टेंट लगाए गए हैं। साथ ही भोजन और पेयजल की व्यवस्था की गई है। लेकिन सरकारी व्यवस्था पीड़ितों के लिए नाकाफी साबित हो रहे हैं।
बाढ़ पीडि़तों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराने के लिए आश्रय स्थल के पास ही मेडिकल कैंप बनाया गया है।
मेडिकल कैंप में गर्भवती महिलाओं का विशेष ख्याल रखने का निर्देश दिया गया है। एक तरह से हवाई अड्डा मैदान में एक नई बस्ती बस गई है।
बाढ़ के कारण विस्थापित हुए एक दर्जन से अधिक गांव के लोग यहां शरण लिए हुए हैं।
जिला प्रशासन की ओर से बाढ़ पीडि़तों के लिए सामुदायिक किचन, मेडिकल कैंप, पशु चारा आदि का इंतजाम करने का दावा किया जा रहा है।
पर विस्थापितों की बस्ती में कदम-कदम पर द्वंद्व (विरोधाभास) देखने को मिलता है।
पशुओं के लिए भूसा वितरण को लेकर बाढ़ पीड़ित उमाशंकर ने कहा कि पशु चारा, पालीथिन सीट आदि वितरण करने में भेदभाव किया जाता है।
विशनपुर के लोगों को न तो पालीथिन दिया गया, न ही पशु चारा। खाने की व्यवस्था ठीक है।
पानी और शौचालय की व्यवस्था दयनीय है। पानी के दो चार टैंकर आते हैं। जिसका उपयोग भोजन बनाने में ही हो जाता है।
अगर आठ से दस चापाकल गाड़ दिए जाएं, तो पानी की समस्या दूर हो जाएगी।
शौचालय बन रहा है। एक दो दिन में स्थिति ठीक होने की उम्मीद है। अभी तक खुले में ही शौच जाना पड़ रहा है।
प्रकाश मंडल ने कहा कि छोटे बच्चों के लिए दूध का कोई इंतजाम नहीं है। जिनके पास अपना मवेशी है, उन्हें तो कोई परेशानी नहीं है।
जिनके पास दुधारू पशु नहीं हैं, उन्हें बच्चे के लिए दूध का इंतजाम करने में काफी परेशानी हो रही है।
सोहन मंडल, देवेन्द्र मंडल ने कहा कि मुखिया अपने समर्थकों को रात के अंधेरे में दो-दो पालीथिन दे देते हैं।
कई लोगों को एक भी पालीथिन नहीं मिला है। तीन बजे के करीब दर्जनों लोग खाना खाने बैठे थे।
खाने की थाली में सिर्फ चावल और सब्जी परोसी गई थी। दाल मांगने पर कह दिया गया- अभी उपलब्ध नहीं है।
कैंप में नारायणपुर प्रखंड के विशनपुर, अमारी, दुधैला, लुरदीपुर, छोटी विशनपुर, मिर्जापुर, अठगामा, फरादपुर, शंकरपुर आदि गांवों के बाढ़ पीड़ित शरण लिए हुए हैं।