बक्सर: इंसानियत को शर्मशार करने वाली भयावह तस्वीर बिहार के बक्सर से सामने आई है। कोरोना महामारी के दौरान शवदाह के महंगे खर्च से बचने के लिए लोगों ने अब एक नई तरकीब निकाली है।
वह अपने मृत स्वजनों के शवों का जल प्रवाह कर दे रहे हैं। ऐसा करके भले ही वह महंगे खर्च से छुटकारा पा जा रहे हों।
लेकिन, इससे एक तरफ जहां जल प्रदूषण हो रहा है। वहीं, दूसरी तरफ कई तरह की संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।
पिछले 1 सप्ताह के अंदर ही बक्सर के चौसा श्मशान घाट पर दर्जनों शवों गंगा के किनारे मिले है। जल-प्रवाह करने के बाद शव गंगा के किनारे आकर लग गई है। गिद्ध और कुत्ते शवों को नोच-नोच कर अपना आहार बना रहे हैं।
इससे गंगा घाट किनारे का नजारा और भी वीभत्स हो गया है। स्थानीय अधिकारियों की तरफ से भी गंदगी को साफ करने को लेकर लंबे समय से कोई पहल नहीं की गई है।
पतित पावनी गंगा को बचाने के लिए सरकारी स्तर पर कई तरह के नियम बनाए गए हैं।
लेकिन उन नियमों का कितना अनुपालन धरातल पर हो रहा है यह देखने के लिए बक्सर में कभी किसी पदाधिकारी ने जहमत नहीं उठाई। पूर्व में भी शहर के गंदे नाले सीधे जाकर गंगा में मिलते रहे हैं।
बता दें कि जिले में श्मशान घाट पर मिलने वाली लकड़ी और अंत्येष्टि की अन्य सामग्रियों की कीमत में बेतहाशा वृद्धि के कारण लोग शवों के अंतिम संस्कार का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं।
ऐसे में पिछले कुछ महीनों से लोगों में शवों का जल प्रवाह करने की प्रवृत्ति पनपी है।
इस तरह की स्थिति सामने आने के बाद अब दूसरे तरह की महामारी जन्म लेगी
चौसा प्रखंड के पवनी गांव के निवासी अनिल कुमार सिंह कुशवाहा बताते हैं कि चौसा, मिश्रवलिया, कटघरवा समेत दर्जनों गांव के लोग घाट पर शवदाह के लिए आते हैं। लेकिन, यहां की स्थिति देखकर अब वह दहशत से भर गए हैं।
इतना ही नहीं, गंगा नदी के किनारे बसे कई अन्य गांवों के लोग जो गंगा के जल का इस्तेमाल करते हैं वह भी इस स्थिति को देखकर बेहद भयाक्रांत हो गए हैं।
निश्चित रूप से इस तरह की स्थिति सामने आने के बाद अब दूसरे तरह की महामारी जन्म लेगी। स्थानीय अंचलाधिकारी से कहने पर भी उन्होंने सफाई को लेकर कोई विशेष पहल नहीं की है।
वर्तमान में नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा घाटों के सौंदर्यीकरण के लिए करोड़ों रुपयों का खर्च किया जा रहा है।
बक्सर में भी 6 घाटों को सुंदर बनाने तथा वहां पर सीढ़ी और रेलिंग आदि लगाने का काम शुरू किया गया है। लेकिन इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनाए जाने की योजना केवल फाइलों में ही है।
जिला प्रशासन में मच गया हड़कंप
वहीं, स्थानीयों की मानें तो इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की व्यवस्था हो जाने पर इस तरह की स्थिति सामने नहीं आएगी।
बेहद मामूली खर्च में लोग शवों का अंतिम संस्कार कर सकेंगे। चौसा श्मशान घाट पर काफी संख्या में शवों के गंगा किनारे लगने की खबर सामने आने के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
पहले स्थानीय सीओ ने श्मशान घाट का मुआयना किया और कार्रवाई की बात की।
वहीं, मामले को तूल पकड़ता देख आनन-फानन में मौके पर पहुंचे बक्सर एसडीएम केके उपाध्याय ने पूरी स्थिति को जाना और कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि शव गंगा नदी में कहीं और से आकर किनारे लग गए हैं जिसको डिस्पोजल करने की कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने मौके पर यूपी के एक अधिकारी से फोन पर बात कर यह सुनिश्चित करने पर बल दिया कि यूपी की तरफ से गंगा नदी के रास्ते लाशें बहकर बक्सर की तरफ ना आ पाए।
साथ ही गंगा में शवों को नहीं फेंका जाए इस बात को लेकर वहां के अधिकारी भी अमल करे।
रोक लगाने का निर्देश
चौसा CO नवलकांत ने बताया कि रात में शव को दाह संस्कार करने में दिक्कत न हो, उसके लिए जनरेटर लाइट की व्यवस्था की गई है। गंदगी को साफ करने के लिए दो लोगों को रखा गया है।
साथ ही वहां पर दो चौकीदार और एक सलाहकार को नियुक्त किया गया है। वे दाह संस्कार करने वालों की डिटेल भी नोट कर रहे हैं।