पटना: बिहार में कोरोना वायरस के मामलों में भले ही गिरावट देखने को मिल रही है, लेकिन इस महामारी और लॉकडाउन चलते दूसरे मरीजों की परेशानियां बढ़ गई हैं।
बिहार के ब्लड बैंक खून की कमी से जूझ रहे हैं। जिसकी वजह से थैलेसीमिया और दूसरे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है।
ऐसा इसलिए हो रहा क्योंकि रक्तदान के लिए अब बहुत कम ही लोग ब्लड बैंक आ रहे हैं, जिसकी वजह से अधिकांश अस्पतालों में खून की कमी हो रही है।
थैलेसीमिया एक ब्लड डिसॉर्डर है, जिसके कारण शरीर में सामान्य से कम हीमोग्लोबिन होता है।
इससे संक्रमित मरीजों को हर 15-20 दिनों में खून चढ़ाने की जरूरत होती है। लेकिन ब्लड डोनेशन कैंप में कमी की वजह से ब्लड बैंकों और अस्पतालों में खून का स्टॉक प्रभावित हुआ है।
राज्य के अधिकांश ब्लड बैंक रिप्लेसमेंट के आधार पर खून की आपूर्ति करते हैं। हालांकि, गाइडलाइन के मुताबिक थैलेसीमिया के मरीजों को बिना रिप्लेसमेंट के ही ब्लड दिया जाना चाहिए।
मुजफ्फरपुर के मुशहरी प्रखंड में पांच साल के एक बच्चे को 19 महीने की उम्र से ही 400 यूनिट से ज्यादा ब्लड की जरुरत हो रही है।
लॉकडाउन के दौरान जब लोग रक्तदान से डर रहे हैं तो बच्चे के परिजनों के लिए खून की व्यवस्था करना आसान नहीं है।
बच्चे के पिता, रोहित गुप्ता (34) ने बताया कि उनके बेटे को 10 मई को एबी प्लस ब्लड चाहिए था, अब फिर खून की जरुरत है। हालांकि, ब्लड डोनर नहीं मिलने से मुश्किलें बढ़ गई हैं।
लोग रक्तदान करने के लिए तैयार नहीं हो रहे, ऐसा इसलिए क्योंकि ब्लड बैंक निगेटिव कोविड रिपोर्ट मांग रहे हैं। थैलेसीमिया कार्ड होने के बावजूद, मुझे रक्तदान किए बिना कभी ब्लड नहीं मिलता है।
हालांकि, सरकार और प्रशासन की ओर से लगातार लोगों को ब्लड डोनेट करने की अपील की जा रही है।
इस बीच पूर्णिया के डीएम राहुल कुमार ने रक्तदान किया और लोगों से भी ऐसा ही करने और लोगों की जान बचाने की अपील की।
उन्होंने ट्वीट किया कोरोना ने अस्पतालों में खून की आपूर्ति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और थैलेसीमिया रोगी, जिन्हें नियमित खून की आवश्यकता होती है, उन्हें इसकी सख्त जरूरत होती है। ऐसे में कृपया रक्तदान करें और जीवन बचाएं।