पटना: बिहार सरकार ने मंदिर की भूमि का मालिक पुजारियों के बजाय देवी/देवताओं को बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
इस फैसले का राज्य में व्यापक सामाजिक-राजनीतिक असर हो सकता है। कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि कानून विभाग संपत्तियों को अनाधिकृत दावों से बचाने के लिए राजस्व रिकॉर्ड से पुजारियों के नाम हटाने के लिए जल्द ही एक परिपत्र जारी करेगा।
कुमार ने कहा, ‘‘पुजारी को भू-स्वामी नहीं माना जा सकता और राजस्व रिकॉर्ड में अब मंदिर के देवी/देवताओं के नाम होंगे।’’
उन्होंने कहा कि इससे मंदिर जमीन में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं से निपटने में मदद मिलेगी क्योंकि पुजारी इन जमीनों को मालिकों के तौर पर खरीद और बेच रहे हैं।
मंत्री ने कहा, ‘‘बिहार सरकार छह सितंबर 2021 को जारी उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करेगी।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की उच्चतम न्यायालय की पीठ ने आदेश दिया था कि ‘कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है’ कि राजस्व रिकॉर्ड में पुजारी या प्रबंधक के नाम का उल्लेख करना आवश्यक है।’’
पीठ ने अपने इस फैसले के पक्ष में राम जन्मभूमि मामले के फैसले का भी हवाला दिया था कि किसी मंदिर में विराजमान देवता भूमि का स्वामी होता है और उनके नाम पर संपत्ति हो सकती है।
कुमार ने कहा कि वह मामले के संबंध में राज्य के सभी मंडलीय मुख्यालयों का दौरा कर रहे हैं और संबंधित अधिकारियों से जल्द से जल्द प्रक्रिया शुरू करने के लिए कह रहे हैं।