नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और उत्तर बंगाल की दार्जिलिंग सीट से सांसद राजू बिष्ट ने आईएएनएस से बात करते हुए दावा किया कि उत्तर बंगाल की सभी 54 विधानसभा सीटें भाजपा जीतेगी।
उन्होंने कहा, टीएमसी सरकार में सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने वाले उत्तर बंगाल का ही सबसे ज्यादा शोषण हुआ है।
ममता बनर्जी सरकार ने दाजिर्ंलिंग हिल्स एरिया के साथ सौतेला बर्ताव किया है।
उत्तर बंगाल की जनता 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता दीदी से बदला लेने के लिए कमल का बटन दबाने को तैयार बैठी है। ममता सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उत्तर बंगाल की जनता अहम भूमिका निभाएगी।
राजू बिष्ट ने आईएएनएस से कहा कि, दार्जिलिंग तराई व डुवार्स की समस्या का लंबे समय से स्थायी राजनीतिक समाधान निकालने की मांग स्थानीय जनता उठाती रही है, लेकिन इस दिशा में सिर्फ भाजपा ने आवाज उठाई है।
उपेक्षा के शिकार उत्तर बंगाल को उसका अधिकार भाजपा की सरकार में ही मिल सकता है।
2019 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से उत्तर बंगाल ने सीटों से भाजपा की झोली भर दी थी, कुछ वैसा ही करिश्मा इस बार विधानसभा चुनाव में होने जा रहा है।
नार्थ बंगाल के बारे में जानिए
नार्थ बंगाल यानी उत्तर बंगाल दो पार्ट में बंटा है। एक नार्थ ईस्ट की सीमाओं से लगा है, जिसमें दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, अलीपुरद्वार, कूचबिहार और जलपाईगुड़ी जिले आते हैं।
वहीं दूसरे पार्ट में डाउन नार्थ हिस्सा है, जिसमें मालदा नार्थ, मालदा साउथ, उत्तरी दीनाजपुर और दक्षिणी दीनाजपुर जिले आते हैं।
कुल नौ जिलों में आठ लोकसभा सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कुल आठ में सात सीटें जीती थीं।
मालदा दक्षिणी लोकसभा सीट कांग्रेस ने जीती थी, जबकि अन्य सात सीटों — अलीपुरद्वार, जलपाईगुरी, कूचबिहार, बलूरघाट (दक्षिण दिनाजपुर), रायगंज (उत्तर दीनाजपुर), मालदा उत्तर और दार्जिलिंग पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था।
नार्थ बंगाल में 3 बड़े फैक्टर
नार्थ बंगाल में वोटबैंक के लिहाज से तीन प्रमुख फैक्टर हैं। राजवंशी, गोरखा और आदिवासी। नार्थ बंगाल में करीब 45 से 50 लाख राजवंशी समुदाय की आबादी है।
इस समुदाय के लोग उत्तर बंगाल की 25 सीटों पर प्रभावी हैं।
इसी तरह उत्तर बंगाल की 15 सीटों पर जीत-हार 20 से 25 लाख गोरखा तय करते हैं।
आदिवासियों की भी संख्या करीब 15 लाख है। नार्थ बंगाल की 15 सीटों पर आदिवासी वोटबैंक निर्णायक हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को नार्थ बंगाल की सात सीटें जीतने में इन्हीं तीन वोटबैंक ने खास भूमिका निभाई थी।
बीजेपी की रणनीति
बीजेपी ने नार्थ बंगाल के राजवंशी, गोरखा और आदिवासी समुदायों के बीच व्यापक जनसंपर्क कार्यक्रम चला रखा है।
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को उत्तर बंगाल की कुल 42 सीटों की कमान पार्टी ने सौंपी है।
वह लगातार उत्तर बंगाल का दौरा कर भाजपा के मिशन बंगाल को धरातल पर उतारने में जुटे हैं।
उत्तर बंगाल में कुल चार सौ बड़े चाय बागान, और एक हजार छोटे चाय बगान हैं।
जिनसे पांच लाख लोगों को सीधा रोजगार मिलता है। चाय बगानों के रोजगार से करीब 25 लाख की आबादी अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी है।
मोदी सरकार ने चाय बगानों के मजदूरों की समस्याओं को देखते हुए हाल ही में एक फरवरी को पेश हुए बजट में एक हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।
भाजपा चाय बगानों के मजदूरों के बीच जाकर एक हजार करोड़ के बजट से होने वाले फायदे गिनाने में जुटी है।
भाजपा का मानना है कि चाय बगानों से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी 25 लाख आबादी चुनाव नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखती है।
भाजपा के एक प्रदेश स्तरीय नेता ने आईएएनएस से कहा, 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों की समीक्षा के दौरान पता चला कि उत्तर बंगाल की कुल 54 विधानसभा सीटों में सिर्फ एक दर्जन पर ही सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को बढ़त हासिल हुई थी।
ऐसे में हमें उम्मीद है कि इस बार पार्टी को उत्तर बंगाल से सभी 54 सीटें भले न मिलें, लेकिन 40 से 45 सीटें पार्टी जीत सकती है।