नई दिल्ली: उत्तर बंगाल के चाय बगानों की बदहाली के कारण भूख और कुपोषण से अब तक 130 से अधिक मजदूरों की मौत के मुद्दे को उठाते हुए दार्जिलिंग से लोकसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोला है।
उन्होंने कहा है कि ममता बनर्जी की सरकार में चाय बागानों की हालत बद से बदतर हो चली है।
शोषण से मजदूर दम तोड़ रहे हैं, फिर भी मुख्यमंत्री ने आंखें मूंद रखी हैं।
मुख्यमंत्री को संकट से घिरी टी इंडस्ट्री के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ममता बनर्जी सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध में चाय बगानों के मजदूर 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को सत्ता से बाहर करेंगे।
भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने कहा, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, चाय बागानों की जमीनी सच्चाई से कटी हुई हैं।
जब नॉर्थ बंगाल के बंद चाय बागानों में भूख और कुपोषण के कारण 130 से अधिक लोगों की मौत हो गई, तो उन्होंने इस तथ्य को स्वीकार करने से बिल्कुल इनकार कर दिया।
मुझे लगता है कि वह चाय बागानों की जमीनी हकीकत से पूरी तरह अनजान हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने कहा कि चाय बागान राज्य सरकार के दायरे में आते हैं। चाय बागानों से राजस्व निचोड़ लेने के बावजूद बंगाल सरकार ने इंडस्ट्री के लिए कुछ नहीं किया।
तृणमूल कांग्रेस की सरकार में चाय बागान और श्रमिक दोनों पीड़ित हैं।
उन्होंने कहा, मैं ममता बनर्जी सरकार से पूछना चाहता हूं कि उन्होंने 2011 से 2019 के बीच कौन सी योजना चाय बगानों की बेहतरी के लिए लांच की।
पिछले दस वर्षों से, सरकार ने चाय बागान के श्रमिकों की दुर्दशा की तरफ से आंखें बंद कर ली हैं। चुनाव आने पर वर्ष 2020 में सरकार ने जो चाय सुंदरी स्कीम लांच की, वह भी कागजों पर सिमट कर रह गयी।
भाजपा सांसद ने कहा कि अज्ञानता में ममता बनर्जी ने नॉर्थ बंगाल के सांसदों पर चाय बगानों की उपेक्षा का आरोप लगाया है।
ऐसे में उन्हें याद दिलाना कर्तव्य है कि उत्तर बंगाल के सांसदों के सामूहिक प्रयासों के कारण ही केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों की शुरूआत की। 1951 के पुराने और शोषणकारी श्रम अधिनियम को समाप्त कर दिया।
यह उत्तर बंगाल के सांसदों की वजह से चार लेबर कोड बने हैं चो चाय बागान श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करेंगे।
राजू बिष्ट ने कहा, शायद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, वित्त मंत्री की ओर से बजट में बंगाल और असम के चाय बागान श्रमिकों के लिए घोषित एक हजार करोड़ के विशेष वित्तीय पैकेज के बारे में सुनना भूल गईं।
यह उत्तर बंगाल के सांसदों के प्रयास से संभव हुआ।
यह तथ्य है कि ममता बनर्जी और उनकी सरकार ने चाय बागानों में काम करने वाले लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया है और उन्हें आज तक न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत शामिल होने से रोका है।
यही कारण है कि उत्तर बंगाल के लोगों ने 2019 में हमारे क्षेत्र से टीएमसी को बाहर किया, और वे 2021 के विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से टीएमसी को उखाड़ फेंकने के लिए बेसब्र हैं।