नई दिल्ली: भाजपा का 11 वां राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के दस महीने के अंदर जेपी नड्डा ने पार्टी को एक साथ कई राज्यों में बंपर सफलता दिलाकर अपनी नेतृत्व क्षमता साबित कर दी है। बिहार में 125 सीटों के साथ बहुमत से एनडीए की जीत हो या गुजरात, कर्नाटक में क्लीन स्वीप और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश से लेकर मणिपुर, तेलंगाना के उपचुनावों में पार्टी को मिली शानदार सफलता, हर जगह जेपी नड्डा की कुशल रणनीति देखने को मिली। बिहार में सभाओं के जरिए भी नड्डा कमाल दिखाने में सफल रहे।
जिन 26 विधानसभा क्षेत्रों में उन्होंने सभाएं कीं, उनमें 20 सीटों पर एनडीए उम्मीदवार जीतने में सफल रहे। बिहार के नतीजे जेपी नड्डा के लिए इसलिए भी खास हैं कि भले ही वह हिमाचल प्रदेश के निवासी हों, लेकिन वह पटना में पले-बढ़े हैं।
ब्रांड मोदी को पार्टी ने भुनाया
पार्टी नेताओं का कहना है कि बिहार में एनडीए की जीत में प्रधानमंत्री मोदी की 12 रैलियों ने खास भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री मोदी ने जिन मुद्दों को उठाया, उसे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जनता के बीच ले जाने की अचूक रणनीति बनाई। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ब्रांड मोदी के जरिए जनता में पार्टी की पैठ को और मजबूत किया।
पार्टी नेताओं के मुताबिक, पोस्ट कोरोना के दौर में पार्टी को मिला यह जनादेश प्रधानमंत्री मोदी में जनता के विश्वास को दिखाता है। कोरोनाकाल के विपरीत हालात में हुए चुनावों में भाजपा को मिली जीत से पता चलता है कि देश में मोदी लहर कायम है।
4 हजार किमी का दौरा
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार चुनाव में खुद को पूरी तरह झोंक दिया। वह चुनाव के दौरान बिहार के कोने-कोने तक पहुंचे। उन्होंने पूरे बिहार में करीब चार हजार किलोमीटर यात्रा कर पार्टी का माहौल बनाया। यात्राओं के जरिए वह जमीनी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेते रहे।
जहां कुछ कमियां मिलीं तो उन्हें समय रहते सुधारने की उन्होंने रणनीति भी बनाई। दिल्ली से लगातार बिहार के कोने-कोने में जेपी नड्डा के जाने से आम कार्यकर्ताओं में भी उत्साह का संचार हुआ।
फीड द नीडी से गरीब हुए भाजपा के करीब
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कोरोना काल में सेवा ही संगठन है का सूत्र जमीन पर उतारा। उन्होंने देश भर में फैले संगठन का इस्तेमाल करते हुए करोड़ों लोगों को भोजन, राशन देने का अभियान चलाया। प्रवासी मजदूरों के पैरों में चप्पल की भी व्यवस्था की।
चूंकि बिहार सर्वाधिक प्रवासी मजदूरों वाले राज्यों में से एक है। ऐसे में जेपी नड्डा के इस अभियान का बिहार के गरीब मतदाताओं में बहुत सकारात्मक संदेश गया। बिहार में एनडीए की जीत और गठबंधन में भाजपा के सर्वाधिक सीटें जीतने के पीछे कोरोना काल के सेवा कार्यो को पार्टी नेता वजह मानते हैं।
जबर्दस्त रहा स्ट्राइक रेट
बिहार विधानसभा चुनाव में जेपी नड्डा का स्ट्राइक रेट शानदार रहा। उनकी 26 विधानसभा क्षेत्रों में हुई रैलियों, सभाओं और रोड शो का एनडीए प्रत्याशियों को खासा लाभ हुआ। यही वजह रही कि इनमें से 20 सीटें एनडीए जीतने में सफल रही।
गया जिले की इमामगंज सीट से पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी जीतने में सफल रहे। गया में भी जेपी नड्डा ने रैली की थी। रैलियों के जरिए नड्डा ने राजद नेता तेजस्वी यादव के सनसनी फैलाने वाले दावों का काउंटर किया।
तेजस्वी यादव के दस लाख नौकरियों के दावे को यह कहकर झुठला दिया, आजाद भारत में किसी भी सरकार के कैबिनेट का नोट नौकरी देने को लेकर नहीं है। इस तरह से जिन मुद्दों पर भाजपा फंसती दिखी, उन मुद्दों का नड्डा नैरेटिव बदलने में कामयाब रहे।
प्रदेश को फैसले लेने की पूरी छूट
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा कि, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार से लेकर अन्य सभी राज्यों के चुनावों में कार्यकर्ताओं की मानसिकता और जनता की आकांक्षा और अपेक्षाओं में समन्वय कायम किया।
उन्होंने डिसेंट्रलाइज्ड डिसीजन मेकिंग पर जोर दिया। प्रदेशों को अपने हिसाब से कैंपेनिंग से लेकर अन्य तरह के फैसले लेने की पूरी आजादी दी। उम्मीदवारों के चयन में सावधानी बरती गई।
जेपी नड्डा ने टीम वर्क पर जोर दिया। वह हमेशा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के लिए सुलभ रहे। जेपी नड्डा का ग्राउंड कनेक्ट बहुत अच्छा रहा। जिससे पार्टी को शानदार नतीजे हासिल हुए।