Pratul Shahdeo Targeted Hemant Soren: BJP के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव (Pratul Shahdeo) ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री Hemant Soren गलतबयानी कर कानून का दुरुपयोग और अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रतुल ने BJP प्रदेश मुख्यालय में मंगलवार को आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए दस्तावेजों को भी दिखाया।
शाहदेव ने कहा कि जब ED ने पूर्व मुख्यमंत्री Hemant Soren के दिल्ली वाले घर में छापे के दौरान 36 लाख रुपये नकदी उनके रूम के वार्डरोब से बरामद किया था तब पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी को एससी-एसटी थाने में दर्ज प्राथमिकी की संख्या 06/24 में यह स्पष्ट कहा था कि उन्हें मीडिया चैनलों से ये खबर मिल रही है कि उनके घर से बड़ी मात्रा में अवैध पैसा बरामद हुआ है।
उन्होंने उस समय स्पष्ट कहा था कि बरामद किया गया गैरकानूनी पैसा उनका नहीं है। ये सिर्फ ED के अधिकारियों की उनको सामाजिक रूप से बेइज्जत करने की साजिश है।
शाहदेव ने कहा कि इसी मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवेदन पर SC-ST Act का एक फर्जी मुकदमा दर्ज भी हो गया था लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उच्च न्यायालय में चल रहे मुकदमा डब्ल्यूपी (CR) नंबर 68/2024 में हेमंत सोरेन ने अपने आवेदन के पॉइंट नंबर 108 में यू टर्न मारते हुए कहा है कि उनके माता और पिता वृद्ध है। उनका लगातार मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए दिल्ली में आवश्यकता पड़ती है। इसलिए उन्होंने कैश को किसी भी मेडिकल इमरजेंसी से निपटने के लिए रखा था।
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यही नहीं रुके। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि जो कैश उनके बंगला से बरामद हुआ है वह उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से दान में प्राप्त हुआ है।
प्रतुल ने कहा कि SC ST केस में दिए गए आवेदन में वर्णित किए गए तथ्य और उच्च न्यायालय में दिए गए आवेदन में आसमान जमीन का अंतर है। पहले तो पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस कैश से किनारा करते हैं। बाद में उसको झारखंड मुक्ति मोर्चा से प्राप्त किया डोनेशन बताते हैं। प्रतुल ने कहा कि ऐसा करके वह एक्सपोज हो गए हैं।
प्रतुल ने कहा कि अब तो इस विषय पर ED को और इनकम टैक्स को भी जांच करना चाहिए कि आखिर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इतनी बड़ी राशि किस दिन हेमंत सोरेन को दी थी? प्रतुल ने कहा कि जाहिर तौर पर Hemant Soren अपने बचाव में लगातार अपने स्टैंड से पलट रहे हैं और अपने दिए गए बयानों से ही मुकर रहे हैं। अब यह तो साफ हो गया है कि SC-ST मामले में उनका बयान बेबुनियाद था। क्योंकि, उच्च न्यायालय में उन्होंने ठीक इसके उलट बयान दिया है।