भुवनेश्वर: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष गुरुनाम सिंह ने शुक्रवार को किसान आंदोलन को आर्थिक आजादी की लड़ाई बताया।
देशभर में किसान महापंचायतों के माध्यम से नये कृषि कानूनों के विरोध में समर्थन जुटाने के अभियान के सिलसिले में भुवनेश्वर पहुंचे भाकियू नेता ने सरकार पर विभिन्न सेक्टरों की कंपनियों को निजी पूंजीपतियों के हाथों बेचने का आरोप लगाया।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर बीते 26 नवंबर से चल रहे किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान यूनियनों के संघ संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल गुरुनाम सिंह चढ़ूनी ने यहां किसानों की एक विशाल जनसभा को संबोधित किया।
उन्होंने अपने संबोधन में केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा, सरकार ने हवाई अड्डे बेचे, बंदगाहों को बेचा और कंपनियों (सरकारी कंपनियों) को बेच रही हैं।
भाकियू नेता कहा कि सरकार जिस तरीके से रेल, सड़क समेत विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों को बेच रही है उससे देश में कुछ नहीं बचेगा और सारा कुछ निजी हाथों में चला जाएगा।
उन्होंने किसानों से कहा, आपको लड़ना पड़ेगा और आपकी जगह लड़ने के लिए किसी दूसरे देश का नागरिक आने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा, किसान आंदोलन सिर्फ तीन बिलों (नये कृषि कानून) तक सीमित नहीं है, क्योंकि ये तीन बिल (कृषि से संबंधित अध्यादेश) तो पिछले साल पांच जून को आए, लेकिन उससे पहले भी संघर्ष कर रहे थे।
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आंदोलन कर रहे किसान तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
किसानों की मांगों को लेकर केंद्र सरकार के साथ यूनियनों के नेताओं की कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन कानून रद्द के मसले पर गतिरोध दूर नहीं हुआ।
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानून के अमल पर रोक लगा दी है और शीर्ष अदालत द्वारा गठित विशेषज्ञों की एक समिति इन कानूनों पर विभिन्न हितधारकों से परामर्श कर उनके सुझाव ले रही है।